मौजूद Poetry (page 5)

क्या वो अब नादिम हैं अपने जौर की रूदाद से

हसरत मोहानी

क़िस्सा-ख़्वानी बाज़ार की एक शाम

हारिस ख़लीक़

हम ऐसे लोग जो आइंदा ओ गुज़िश्ता हैं

हम्माद नियाज़ी

भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए

हम्माद नियाज़ी

मिरी दुनिया का मेहवर मुख़्तलिफ़ है

हमीदा शाहीन

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

हैदर अली आतिश

रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा

हैदर अली आतिश

कोई अच्छा नहीं होता है बरी चालों से

हैदर अली आतिश

दिल-लगी अपनी तिरे ज़िक्र से किस रात न थी

हैदर अली आतिश

आबले पावँ के क्या तू ने हमारे तोड़े

हैदर अली आतिश

एक ज़ाती नज़्म

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

आफ़ाक़ में फैले हुए मंज़र से निकल कर

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

क़र्या-ए-हैरत में दिल का मुस्तक़र इक ख़्वाब है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिल गई है बादिया-पैमाई से मंज़िल मिरी

ग़ुलाम हुसैन साजिद

जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद

ग़ालिब

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

ग़ालिब

अपने लोगों के नाम

फ़य्याजुद्दीन साइब

अपनी आँखों के हिसारों से निकल कर देखना

फ़ारूक़ मुज़्तर

बिछड़े घर का साया

फ़रहत एहसास

शोर-ए-बरबत-ओ-नय

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नज़्म

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हिज्र मौजूद है फ़साने में

फ़ैसल अजमी

सोच

फ़हमीदा रियाज़

वो जिस के हाथ से तक़रीब-ए-दिल-नुमाई थी

फ़हीम शनास काज़मी

दिल-ए-तबाह को अब तक नहीं यक़ीं आया

फ़हीम शनास काज़मी

निशान-ए-ज़िंदगी

एजाज़ गुल

अश्क पर ज़ोर कुछ चला ही नहीं

डॉक्टर आज़म

चालीस चोर

दिलावर फ़िगार

सात दरियाओं का पानी है मिरे कूज़े में

दिलावर अली आज़र

मुमकिन है कि मिलते कोई दम दोनों किनारे

दिलावर अली आज़र

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