जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है
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गो मैं रहा रहीन-ए-सितम-हा-ए-रोज़गार
यक-ज़र्रा-ए-ज़मीं नहीं बे-कार बाग़ का
न पूछ नुस्ख़ा-ए-मरहम जराहत-ए-दिल का
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई
अल्लाह रे ज़ौक़-ए-दश्त-नवर्दी कि बाद-ए-मर्ग
तू दोस्त किसू का भी सितमगर न हुआ था
'ग़ालिब' हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए-अश्क से
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
ये लाश-ए-बे-कफ़न 'असद'-ए-ख़स्ता-जाँ की है
मुज़्दा ऐ ज़ौक़-ए-असीरी कि नज़र आता है
क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़