मिर्ज़ा अज़फ़री कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मिर्ज़ा अज़फ़री
नाम | मिर्ज़ा अज़फ़री |
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अंग्रेज़ी नाम | Mirza Azfari |
ज़िंदगी चुभ रही है काँटा सी
ये दीवाने हैं महव-ए-दीद दिलबर
वो उठा कर यक क़दम आया न गाह
तुझ बिन और हम को सूझता ही नहीं
ताक लागी तिरी दुख़्तर से हमारी ऐ ताक
सूनी गई में हुई यार से मुढभेड़ आज
शिताबी अपने दीवाने को कर बंद
रफ़ू जेब-ए-मजनूँ हुआ कब ऐ नासेह
क़सम मय की मुझ बिन है मेरे लहू की
ओसों गई है प्यास कहीं दीदा-ए-नमीं
ओ अतारिद ज़ुहल-ए-नहिस से टुक माँग मिदाद
किस ज़माने की ये दुश्मन थी मिरी
कौन कहता है कि तू ने हमें हट कर मारा
काकुल नहीं लटकते कुछ उन की छातियों पर
जो आया यार तो तू हो चला ग़श ऐ दिवाने दिल
जिलाओ मारो दुरकारो बुला लो गालियाँ दे लो
हम इश्क़ तेरे हाथ से क्या क्या न देखीं हालतें
हम गुनहगारों के क्या ख़ून का फीका था रंग
हम फ़रामोश की फ़रामोशी
है जानी तुझ में सब ख़ूबी प जाँ सा
दिल लिया ताब-ओ-तवाँ ले चुका जाँ भी ले ले
धानी जूड़े पे तिरे साँवले मैं मरता हूँ
बे-ग़मी तर्क-ए-आलाइक़ है सदा 'अज़फ़रिया'
बह चुका ख़ून-ए-दिल आँख तक आ पहुँचा सैल
'अज़फ़री' ग़ुंचा-ए-दिल बंद और आई है बहार
ऐ मुसव्विर शिताब हो कि अभी
ये दिल वो है कि ग़मों से जिसे फ़राग़ नहीं
तुम खुल रहे थे ग़ैर से छाँव तले खड़े
तुझ में जिस दम धियान जाता है
तू बातों में बिगड़ जाता है मुझ से