जो आया यार तो तू हो चला ग़श ऐ दिवाने दिल
इसी दम तुझ को मरना था बता क्या तुझ को धाड़ आई
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तिरी तेग़ अबरू की टुक सामने कर देखें तो
कौन कहता है कि तू ने हमें हट कर मारा
ग़ैरों के साथ गाते जाते हो
तुझ बिन और हम को सूझता ही नहीं
ये दिल वो है कि ग़मों से जिसे फ़राग़ नहीं
कहा किस ने कि तुम ये वो न बोलो
धानी जूड़े पे तिरे साँवले मैं मरता हूँ
ओसों गई है प्यास कहीं दीदा-ए-नमीं
ख़िज़ाँ तन्हा न सैर-ए-बोस्ताँ को जा बिगाड़ आई
इस की सूरत को देख कर भूले
तू बातों में बिगड़ जाता है मुझ से
दोस्ती में तिरी बस हम ने बहुत दुख झेले