तुझ बिन और हम को सूझता ही नहीं
और तू हम को बूझता ही नहीं
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हम इश्क़ तेरे हाथ से क्या क्या न देखीं हालतें
ओसों गई है प्यास कहीं दीदा-ए-नमीं
तिरी तेग़ अबरू की टुक सामने कर देखें तो
जो आया यार तो तू हो चला ग़श ऐ दिवाने दिल
तू बातों में बिगड़ जाता है मुझ से
ये दिल वो है कि ग़मों से जिसे फ़राग़ नहीं
दोस्ती में तिरी बस हम ने बहुत दुख झेले
नम-ए-अश्क आँखों से ढलने लगा है
गिरह जो काम में डाले है पंजा-ए-तक़दीर
कौन कहता है कि तू ने हमें हट कर मारा
जिलाओ मारो दुरकारो बुला लो गालियाँ दे लो
देख अपने माइलों को कि हैं दिल जले पड़े