ओसों गई है प्यास कहीं दीदा-ए-नमीं
बुझता है आँसुओं से कहाँ दिल फुंका हुआ
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Habib Jalib
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(534) Peoples Rate This
शिताबी अपने दीवाने को कर बंद
ओ अतारिद ज़ुहल-ए-नहिस से टुक माँग मिदाद
तुम खुल रहे थे ग़ैर से छाँव तले खड़े
कौन कहता है कि तू ने हमें हट कर मारा
बे-ग़मी तर्क-ए-आलाइक़ है सदा 'अज़फ़रिया'
इस की सूरत को देख कर भूले
बारकल्लाह मैं तिरे हुस्न की क्या बात कहूँ
जी में क्या क्या मिरी उमाहा था
दिल लिया ताब-ओ-तवाँ ले चुका जाँ भी ले ले
ये दीवाने हैं महव-ए-दीद दिलबर
ये दिल वो है कि ग़मों से जिसे फ़राग़ नहीं
जब कि ज़ुल्फ़ उस की गले खा बल पड़ी