ताक लागी तिरी दुख़्तर से हमारी ऐ ताक
आज शब जी में है घर तेरे ये दामाद रहे
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Gulzar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(615) Peoples Rate This
किया है तू ने तो जान-ए-जहाँ जहाँ तस्ख़ीर
आते आते तर्फ़ मेरे मुड़ के फिर कीधर चले
दिल लिया ताब-ओ-तवाँ ले चुका जाँ भी ले ले
रफ़ू जेब-ए-मजनूँ हुआ कब ऐ नासेह
इस की सूरत को देख कर भूले
ढोलकी धम-धमी ख़ंजरी भी बजानी जानी
तिरी तेग़ अबरू की टुक सामने कर देखें तो
'अज़फ़री' ग़ुंचा-ए-दिल बंद और आई है बहार
जब कि ज़ुल्फ़ उस की गले खा बल पड़ी
कौन कहता है कि तू ने हमें हट कर मारा
ज़िंदगी चुभ रही है काँटा सी