रफ़ू जेब-ए-मजनूँ हुआ कब ऐ नासेह
तू मर जाएगा उस के सीते ही सीते
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ओ अतारिद ज़ुहल-ए-नहिस से टुक माँग मिदाद
बारकल्लाह मैं तिरे हुस्न की क्या बात कहूँ
बह चुका ख़ून-ए-दिल आँख तक आ पहुँचा सैल
तुझ में जिस दम धियान जाता है
ये दीवाने हैं महव-ए-दीद दिलबर
आते आते तर्फ़ मेरे मुड़ के फिर कीधर चले
हैं जाने-बूझे यार हम, हम साथ अन-जानी न कर
जो आया यार तो तू हो चला ग़श ऐ दिवाने दिल
तू बातों में बिगड़ जाता है मुझ से
ग़ैरों के साथ गाते जाते हो
एक बर्छी से मार जाते हो
ताक लागी तिरी दुख़्तर से हमारी ऐ ताक