शाहिद कबीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाहिद कबीर

शाहिद कबीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाहिद कबीर
नामशाहिद कबीर
अंग्रेज़ी नामShahid Kabir
जन्म की तारीख1932
मौत की तिथि2001
जन्म स्थानMumbai

ज़िंदगी इक आँसुओं का जाम था

वो भी धरती पे उतारी हुई मख़्लूक़ ही है

तेरा कूचा तिरा दर तेरी गली काफ़ी है

तबाह कर गई पक्के मकान की ख़्वाहिश

शहर में गलियों गलियों जिस का चर्चा है

पाया नहीं वो जो खो रहा हूँ

मय-ख़ाने की बात न कर वाइज़ मुझ से

कुछ तो हो रात की सरहद में उतरने की सज़ा

कौन है अपना कौन पराया क्या सोचें

काँटों को पिला के ख़ून अपना

इतनी जल्दी तो बदलते नहीं होंगे चेहरे

इस सोच में ज़िंदगी बिता दी

गिरने दो तुम मुझे मिरा साग़र संभाल लो

ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी

बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है

आप के दम से तो दुनिया का भरम है क़ाएम

ज़मीं पे चल न सका आसमान से भी गया

तुम से मिलते ही बिछड़ने के वसीले हो गए

ठुकराओ अब कि प्यार करो मैं नशे में हूँ

रूह को क़ैद किए जिस्म के हालों में रहे

रेत की लहरों से दरिया की रवानी माँगे

पुकारती है जो तुझ को तिरी सदा ही न हो

पाया नहीं वो जो खो रहा हूँ

नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है

क्या फ़र्ज़ है ये जिस्म के ज़िंदाँ में सज़ा दे

कुछ देर काली रात के पहलू में लेट के

कर्ब चेहरे से मह-ओ-साल का धोया जाए

हर आइने में बदन अपना बे-लिबास हुआ

ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी

बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है

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