मय-ख़ाने की बात न कर वाइज़ मुझ से
आना जाना तेरा भी है मेरा भी
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तेरा कूचा तिरा दर तेरी गली काफ़ी है
ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी
कर्ब चेहरे से मह-ओ-साल का धोया जाए
आप के दम से तो दुनिया का भरम है क़ाएम
ज़िंदगी इक आँसुओं का जाम था
तबाह कर गई पक्के मकान की ख़्वाहिश
रेत की लहरों से दरिया की रवानी माँगे
अंदर का सुकूत कह रहा है
हर आइने में बदन अपना बे-लिबास हुआ
काँटों को पिला के ख़ून अपना
गिरने दो तुम मुझे मिरा साग़र संभाल लो
पाया नहीं वो जो खो रहा हूँ