कुछ तो हो रात की सरहद में उतरने की सज़ा
गर्म सूरज को समुंदर में डुबोया जाए
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(675) Peoples Rate This
नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है
ज़िंदगी इक आँसुओं का जाम था
पुकारती है जो तुझ को तिरी सदा ही न हो
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है
कुछ देर काली रात के पहलू में लेट के
तबाह कर गई पक्के मकान की ख़्वाहिश
अंदर का सुकूत कह रहा है
ज़मीं पे चल न सका आसमान से भी गया
कौन है अपना कौन पराया क्या सोचें
ठुकराओ अब कि प्यार करो मैं नशे में हूँ
पाया नहीं वो जो खो रहा हूँ
रूह को क़ैद किए जिस्म के हालों में रहे