मर Poetry (page 5)

क्या क्या मज़े से रात की अहद-ए-शबाब में

मीर तस्कीन देहलवी

काम कुछ ऐसे कर गया हूँ मैं

तरकश प्रदीप

इश्क़ में अब तो मर ही सकता हूँ

तरकश प्रदीप

अजब ग़रीबी के आलम में मर गया इक शख़्स

तारिक़ क़मर

जौन-एलिया से आख़री मुलाक़ात

तारिक़ क़मर

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

न तुम मिले थे तो दुनिया चराग़-पा भी न थी

तारिक़ क़मर

ग़म-ए-जहाँ में ग़म-ए-यार ज़म न कर पाया

तालिब हुसैन तालिब

हर्फ़

ताहिर अज़ीम

मैं उस की मोहब्बत से इक दिन भी मुकर जाता

ताहिर अज़ीम

मिट गए हाए मकीं और मकान-ए-देहली

तफ़ज़्ज़ुल हुसैन ख़ान कौकब देहलवी

हर अदा तुंद और नबात उस की

ताबिश सिद्दीक़ी

क़िस्मत में क्या है देखें जीते बचें कि मर जाएँ

ताबाँ अब्दुल हई

सुन फ़स्ल-ए-गुल ख़ुशी हो गुलशन में आइयाँ हैं

ताबाँ अब्दुल हई

नहीं तुम मानते मेरा कहा जी

ताबाँ अब्दुल हई

किस से पूछूँ हाए मैं इस दिल के समझाने की तरह

ताबाँ अब्दुल हई

मुझ में आ कर ठहर गया कोई

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

तेरे दर से मैं उठा लेकिन न मेरा दिल उठा

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

मैं ने कहा कि दा'वा-ए-उलफ़त मगर ग़लत

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

क्या भरोसा है उन्हें छोड़ के लाचार न जा

सय्यद सग़ीर सफ़ी

तंदुरुस्ती दी ख़ुदा ने तो नक़ाहत न गई

सय्यद नज़ीर हसन सख़ा देहलवी

क़ुर्बानी के बकरे

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

ज़ुल्म मुझ पर शदीद कर बैठे

सय्यद मोहम्मद असकरी आरिफ़

आचानक मर जाने वाले लोग

सय्यद काशिफ़ रज़ा

तिरी आँखों को तेरे हुस्न का दर जाना था

सय्यद काशिफ़ रज़ा

शगुफ़्ता हो के बैठे थे वो अपने बे-क़रारों में

सय्यद फ़रज़नद अहमद सफ़ीर

सूरज सितारे चाँद जो बर्बाद हो गए

सय्यद अारिफ़

रेत की तरह किनारों पे हैं डरने वाले

सय्यद आबिद अली आबिद

किरन इक मो'जिज़ा सा कर गई है

स्वप्निल तिवारी

दिन के पहले पहर में ही अपना बिस्तर छोड़ कर

स्वप्निल तिवारी

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