नाम Poetry (page 37)

वो जो भी बख़्शें वो इनआम ले लिया जाए

रम्ज़ आफ़ाक़ी

जब उन के पा-ए-नाज़ की ठोकर में आएगा

रम्ज़ आफ़ाक़ी

ज़िंदाँ में भी वही लब-ओ-रुख़्सार देखते

राम रियाज़

ज़र्रा इंसान कभी दश्त-नगर लगता है

राम रियाज़

मैं अँधेरों का पुजारी हूँ मिरे पास न आ

राम रियाज़

लफ़्ज़ बे-जाँ हैं मिरे रूह-ए-मआनी मुझे दे

राम रियाज़

वो रह-ओ-रस्म न वो रब्त-ए-निहाँ बाक़ी है

राम कृष्ण मुज़्तर

मेरे तसव्वुरात में अब कोई दूसरा नहीं

राम कृष्ण मुज़्तर

दुनिया तेरे नाम से मुझ को पहचाने

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

सफ़र का रुख़ बदल कर देखता हूँ

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

क़सीदा फ़त्ह का दुश्मन की तलवारों पे लिक्खा है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

अजब नहीं है मुआलिज शिफ़ा से मर जाएँ

राकिब मुख़्तार

वो दिलबर हैं तो गोया दिलबरी करनी पड़ेगी

रख़्शंदा नवेद

दिए जला के हवाओं के मुँह पे मार आया

रख़शां हाशमी

हर्फ़-ए-ग़ैर

राजेन्द्र मनचंदा बानी

किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो

राजेन्द्र कृष्ण

ग़म बिक रहे थे मेले में ख़ुशियों के नाम पर

राजेश रेड्डी

सफ़र में अब के अजब तजरबा निकल आया

राजेश रेड्डी

अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम

राजेश रेड्डी

तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त

राजेन्द्र नाथ रहबर

आ जाना

राजेन्द्र नाथ रहबर

उठा ख़ुद जिस से जाता भी नहीं है

राजेन्द्र कलकल

मरीज़-ए-हिज्र को सेहत से अब तो काम नहीं

रजब अली बेग सुरूर

लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शोला अयाँ न हो

रजब अली बेग सुरूर

ख़ुद-कुशी

राजा मेहदी अली ख़ाँ

जमाल-ज़ादा

राजा मेहदी अली ख़ाँ

'नदीम' उन की ज़बाँ पर फिर हमारा नाम है शायद

राज कुमार सूरी नदीम

सभी अंधेरे समेटे हुए पड़े रहना

रईस सिद्दीक़ी

बस इक ख़ता की मुसलसल सज़ा अभी तक है

रईस सिद्दीक़ी

सग-ए-हम-सफ़र और मैं

रईस फ़रोग़

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