नज़र Poetry (page 133)

ये इम्तियाज़ ज़रूरी है अब इबादत में

अभिषेक शुक्ला

सफ़र के बा'द भी ज़ौक़-ए-सफ़र न रह जाए

अभिषेक शुक्ला

लहर का ख़्वाब हो के देखते हैं

अभिषेक शुक्ला

दर-ए-ख़याल भी खोलें सियाह शब भी करें

अभिषेक शुक्ला

राह भटका हुआ इंसान नज़र आता है

अभिषेक कुमार अम्बर

ये कौन मेरे अलावा मिरे वजूद में है

अब्दुर्राहमान वासिफ़

फ़रेब-ए-ज़ार मोहब्बत-नगर खुला हुआ है

अब्दुर्राहमान वासिफ़

अगर हो ख़ौफ़-ज़दा ताक़त-ए-बयाँ कैसी

अब्दुर्रहीम नश्तर

मंज़रों के भी परे हैं मंज़र

अब्दुल्लाह जावेद

जब थी मंज़िल नज़र में तो रस्ता था एक

अब्दुल्लाह जावेद

कोई रिश्ता न हो फिर भी रिश्ते बहुत

अब्दुल्लाह जावेद

जो गुज़रता है गुज़र जाए जी

अब्दुल्लाह जावेद

यूँ अश्क बरसते हैं मिरे दीदा-ए-तर से

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

क्या क्या सुपुर्द-ए-ख़ाक हुए नामवर तमाम

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

दिल उन की मोहब्बत का जो दीवाना लगे है

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़म-ए-हयात ग़म-ए-दिल निशात-ए-जाँ गुज़रा

अब्दुल मतीन नियाज़

मेरी आँखों में आँसू प्यारे

अब्दुल मन्नान तरज़ी

जब निगाह-ए-तलब मो'तबर हो गई

अब्दुल मन्नान तरज़ी

वक़्त अब सर पे वो आया है कि सर याद नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

दिल अपना याद-ए-यार से बेगाना तो नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

ग़म के हाथों मिरे दिल पर जो समाँ गुज़रा है

अब्दुल मजीद सालिक

मरहम-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर हो जाए

अब्दुल मजीद हैरत

मरहम ज़ख़्म-ए-जिगर हो जाए

अब्दुल मजीद हैरत

वही शय मक़सद-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र महसूस होती है

अब्दुल हमीद अदम

मैं उम्र भर जवाब नहीं दे सका 'अदम'

अब्दुल हमीद अदम

हर दिल-फ़रेब चीज़ नज़र का ग़ुबार है

अब्दुल हमीद अदम

आप इक ज़हमत-ए-नज़र तो करें

अब्दुल हमीद अदम

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