मैं उम्र भर जवाब नहीं दे सका 'अदम'
वो इक नज़र में इतने सवालात कर गए
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लहरा के झूम झूम के ला मुस्कुरा के ला
और तो दिल को नहीं है कोई तकलीफ़ 'अदम'
शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए
कौन है जिस ने मय नहीं चक्खी
ऐ गदागर ख़ुदा का नाम न ले
दिन गुज़र जाएँगे सरकार कोई बात नहीं
या दुपट्टा न लीजिए सर पर
मैं मय-कदे की राह से हो कर निकल गया
शब की बेदारियाँ नहीं अच्छी
देख कर दिल-कशी ज़माने की
तड़प कर मैं ने तौबा तोड़ डाली
काफ़ी वसीअ सिलसिला-ए-इख़्तियार है