काफ़ी वसीअ सिलसिला-ए-इख़्तियार है
काफ़ी तवील मुद्दत-ए-अहद-ए-बहार है
मैं तेरा साथ दूँगा जहाँ तक तू चल सके
ऐ ज़िंदगी तू आप ही बे-ए'तिबार है
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नाख़ुदा किस लिए परेशाँ है
साक़ी तुझे इक थोड़ी सी तकलीफ़ तो होगी
दिन गुज़र जाएँगे सरकार कोई बात नहीं
अफ़्साना चाहते थे वो अफ़्साना बन गया
भूली-बिसरी बातों से क्या तश्कील-ए-रूदाद करें
सितारों के आगे जो आबादियाँ हैं
बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम'
मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी
आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी
तुम्हारे हुस्न को मेरी नज़र लगी है ज़रूर
हाथ से खो न बैठना उस को
फिर आज 'अदम' शाम से ग़मगीं है तबीअत