पास Poetry (page 23)

अजब है खेल कैरम का

इब्न-ए-मुफ़्ती

ये सराए है

इब्न-ए-इंशा

ये बच्चा किस का बच्चा है

इब्न-ए-इंशा

ये बातें झूटी बातें हैं

इब्न-ए-इंशा

दरवाज़ा खुला रखना

इब्न-ए-इंशा

ऐ मतवालो! नाक़ों वालो!!

इब्न-ए-इंशा

जंगल जंगल शौक़ से घूमो दश्त की सैर मुदाम करो

इब्न-ए-इंशा

जल्वा-नुमाई बे-परवाई हाँ यही रीत जहाँ की है

इब्न-ए-इंशा

'इंशा'-जी है नाम उन्ही का चाहो तो तुम से मिलवाएँ

इब्न-ए-इंशा

दिल इश्क़ में बे-पायाँ सौदा हो तो ऐसा हो

इब्न-ए-इंशा

इतनी सी इस जहाँ की हक़ीक़त है और बस

हुसैन सहर

मैदान

हुसैन आबिद

ख़्वाबों के साथ ज़ेहन की अंगड़ाइयाँ भी हैं

हुरमतुल इकराम

वो और थे कि जो ना-ख़ुश थे दो जहाँ ले कर

हुमैरा राहत

तुम्हारे इश्क़ पे दिल को जो मान था न रहा

हुमैरा राहत

मिलता नहीं मिज़ाज ख़ुद अपनी अदा में है

होश तिर्मिज़ी

पहले तो ख़्वाब ज़ेहन में तश्कील हो गया

हीरानंद सोज़

हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला

हिलाल फ़रीद

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

हीरा लाल फ़लक देहलवी

साक़िया ये जो तुझ को घेरे हैं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ये इल्तिजा दुआ ये तमन्ना फ़ुज़ूल है

हयात लखनवी

ये जज़्बा-ए-तलब तो मिरा मर न जाएगा

हयात लखनवी

सूने सूने उजड़े उजड़े से घरों में ले चलो

हयात लखनवी

कूचा में जो उस शोख़-हसीं के न रहेंगे

हातिम अली मेहर

का'बा-ओ-बुत-ख़ाना वालों से जुदा बैठे हैं हम

हातिम अली मेहर

उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ

हसरत मोहानी

इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम

हसरत मोहानी

सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है

हसरत मोहानी

मुदावा-ए-दिल-ए-दीवाना करते

हसरत मोहानी

क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता

हसरत मोहानी

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