पास Poetry (page 25)

जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास

हरी चंद अख़्तर

दश्त में मिस्ल सदा के थे

हरबंस तसव्वुर

ऐ यास जो तू दिल में आई सब कुछ हुआ पर कुछ भी न हुआ

हक़ीर

न वो वलवले हैं दिल में न वो आलम-ए-जवानी

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

एहसास-ए-ना-रसाई से जिस दम उदास था

हनीफ़ तरीन

माना वो छुपने वाला हर दिल में छुप जाएगा

हामिदुल्लाह अफ़सर

ख़ुद ख़मोशी के हिसारों में रहे

हामिदी काश्मीरी

मुझे विर्सा नहीं मिला

हमीदा शाहीन

कभी अपनों की यूरिश थी कभी ग़ैरों का रेला था

हमीद जालंधरी

चुरा के मेरे ताक़ से किताब कोई ले गया

हमीद अलमास

हाए वो वक़्त-ए-जुदाई के हमारे आँसू

हकीम नासिर

जो मेरे पास था सब लूट ले गया कोई

हकीम मंज़ूर

मिरे वजूद की दुनिया में है असर किस का

हकीम मंज़ूर

बयाबाँ-ज़ाद कोई क्या कहे ख़ुद बे-मकाँ है

हकीम मंज़ूर

हर चोट पर ज़माने की हम मुस्कुराए हैं

हैरत सहरवर्दी

तुझे बातों में लाना चाहता हूँ

हैरत गोंडवी

तब्ल-ओ-अलम ही पास हैं अपने न मुल्क-ओ-माल

हैदर अली आतिश

तब्ल-ओ-अलम ही पास है अपने न मुल्क ओ माल

हैदर अली आतिश

वो नाज़नीं ये नज़ाकत में कुछ यगाना हुआ

हैदर अली आतिश

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या

हैदर अली आतिश

क़द-ए-सनम सा अगर आफ़रीदा होना था

हैदर अली आतिश

इस के कूचे में मसीहा हर सहर जाता रहा

हैदर अली आतिश

बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों

हैदर अली आतिश

पत्थर में फ़न के फूल खिला कर चला गया

हफ़ीज़ ताईब

वस्ल में आपस की हुज्जत और है

हफ़ीज़ जौनपुरी

उस को आज़ादी न मिलने का हमें मक़्दूर है

हफ़ीज़ जौनपुरी

इसी ख़याल से तर्क उन की चाह कर न सके

हफ़ीज़ जौनपुरी

बसंती तराना

हफ़ीज़ जालंधरी

अभी तो मैं जवान हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

मौत के चेहरे पे है क्यूँ मुर्दनी छाई हुई

हफ़ीज़ जालंधरी

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