पास Poetry (page 27)

दूसरा कोई तमाशा न था ज़ालिम के पास

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

वो लोग मुतमइन हैं कि पत्थर हैं उन के पास

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

फिर तो इस बे-नाम सफ़र में कुछ भी न अपने पास रहा

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हम ने तो बे-शुमार बहाने बनाए हैं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

तुझे कल ही से नहीं बे-कली न कुछ आज ही से रहा क़लक़

ग़ुलाम मौला क़लक़

दूरी में क्यूँ कि हो न तमन्ना हुज़ूर की

ग़ुलाम मौला क़लक़

बे-नियाज़-ए-बहार सा क्यूँ है

ग़यास अंजुम

तुम्हारे शहर में आँगन नहीं है

ग़ौस सीवानी

शम्अ-रू आशिक़ को अपने यूँ जलाना चाहिए

ग़मगीन देहलवी

अक्स की कहानी का इक़्तिबास हम ही थे

ग़ालिब इरफ़ान

मैं भी रुक रुक के न मरता जो ज़बाँ के बदले

ग़ालिब

लेता नहीं मिरे दिल-ए-आवारा की ख़बर

ग़ालिब

सर-गश्तगी में आलम-ए-हस्ती से यास है

ग़ालिब

मुज़्दा ऐ ज़ौक़-ए-असीरी कि नज़र आता है

ग़ालिब

मस्जिद के ज़ेर-ए-साया ख़राबात चाहिए

ग़ालिब

हुजूम-ए-ग़म से याँ तक सर-निगूनी मुझ को हासिल है

ग़ालिब

हुई ताख़ीर तो कुछ बाइस-ए-ताख़ीर भी था

ग़ालिब

हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या

ग़ालिब

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

ग़ालिब

पैक-ए-ख़याल भी है अजब क्या जहाँ-नुमा

जोर्ज पेश शोर

पैक-ए-ख़याल भी है अजब क्या जहाँ-नुमा

जोर्ज पेश शोर

लम्हा गुज़र गया है कि अर्सा गुज़र गया

गौतम राजऋषि

मैं ख़ुद ही ख़ूगर-ए-ख़लिश-ए-जुस्तुजू न था

गौहर होशियारपुरी

कुत्तों का मुशाएरा

फ़ुर्क़त काकोरवी

जुगनू

फ़िराक़ गोरखपुरी

तेज़ एहसास-ए-ख़ुदी दरकार है

फ़िराक़ गोरखपुरी

इक रोज़ हुए थे कुछ इशारात ख़फ़ी से

फ़िराक़ गोरखपुरी

चमन अपने रंग में मस्त है कोई ग़म-गुसार-ए-दिगर नहीं

फ़िगार उन्नावी

ज़मज़मा-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ दूर तक

फ़ाज़िल अंसारी

मौसम की पहली बारिश

फ़ातिमा हसन

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.