साथ Poetry (page 95)

नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

हर आन जल्वा नई आन से है आने का

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़म-ए-हयात ग़म-ए-दिल निशात-ए-जाँ गुज़रा

अब्दुल मतीन नियाज़

ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते

अब्दुल मन्नान समदी

मुझ से मेरी हयात रूठ गई

अब्दुल मलिक सोज़

कुछ हसीं यादें भी हैं दीदा-ए-नम के साथ साथ

अब्दुल मलिक सोज़

पीर-ए-मुग़ाँ से हम को कोई बैर तो नहीं

अब्दुल हमीद अदम

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम

ये कैसी सरगोशी-ए-अज़ल साज़-ए-दिल के पर्दे हिला रही है

अब्दुल हमीद अदम

वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम

अब्दुल हमीद अदम

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम

बे-जुम्बिश-ए-अब्रू तो नहीं काम चलेगा

अब्दुल हमीद अदम

अरे मय-गुसारो सवेरे सवेरे

अब्दुल हमीद अदम

ज़ाहिरन मौत है क़ज़ा है इश्क़

अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

मैं बात कौन से पैरा-ए-बयाँ में करूँ

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

भूलों उन्हें कैसे कैसे कैसे

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को

अब्दुल अलीम आसि

'सादेम'

अब्दुल अहद साज़

नानी-अमाँ की वफ़ात पर एक नज़्म

अब्दुल अहद साज़

मेरी आँखों से गुज़र कर दिल ओ जाँ में आना

अब्दुल अहद साज़

जाने क़लम की आँख में किस का ज़ुहूर था

अब्दुल अहद साज़

बहुत मलूल बड़े शादमाँ गए हुए हैं

अब्दुल अहद साज़

बद-सोहबतों को छोड़ शरीफ़ों के साथ घूम

अब्दुल अहद साज़

झोंके के साथ छत गई दस्तक के साथ दर गया

अब्बास ताबिश

अभी उस की ज़रूरत थी

अब्बास ताबिश

ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं

अब्बास ताबिश

याद कर कर के उसे वक़्त गुज़ारा जाए

अब्बास ताबिश

उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया

अब्बास ताबिश

शायद किसी बला का था साया दरख़्त पर

अब्बास ताबिश

शजर समझ के मिरा एहतिराम करते हैं

अब्बास ताबिश

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