सागर Poetry (page 25)

अपनी आँखों के हिसारों से निकल कर देखना

फ़ारूक़ मुज़्तर

परिंदे खेत में अब तक पड़ाव डाले हैं

फ़ारूक़ अंजुम

जो बैठो सोचने हर ज़ख़्म-ए-दिल कसकता है

फ़ारूक़ अंजुम

अब धूप मुक़द्दर हुई छप्पर न मिलेगा

फ़ारूक़ अंजुम

जबीं का चाँद बनूँ आँख का सितारा बनूँ

फ़ारिग़ बुख़ारी

देख कर उस हसीन पैकर को

फ़ारिग़ बुख़ारी

हम से तंहाई के मारे नहीं देखे जाते

फ़रहत शहज़ाद

शुऊर-ओ-फ़िक्र की तज्दीद का गुमाँ तो हुआ

फ़रहत क़ादरी

मसअला आज मिरे इश्क़ का तू हल कर दे

फ़रहत नदीम हुमायूँ

समुंदर

फ़रहत एहसास

दुनिया को कहाँ तक जाना है

फ़रहत एहसास

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं

फ़रहत एहसास

जिस्म की कुछ और अभी मिट्टी निकाल

फ़रहत एहसास

अहल-ए-बदन को इश्क़ है बाहर की कोई चीज़

फ़रहत एहसास

तू मिरी इब्तिदा तू मिरी इंतिहा मैं समुंदर हूँ तू साहिलों की हवा

फ़रहान सालिम

मैं तिरे संग कैसे चलूँ हम-सफ़र तू समुंदर है मैं साहिलों की हवा

फ़रहान सालिम

ग़म का बादल

फ़रीद इशरती

दर्द का समुंदर है सिर्फ़ पार होने तक

फ़रह इक़बाल

न जाने कैसा समुंदर है इश्क़ का जिस में

फ़राग़ रोहवी

मैं एक बूँद समुंदर हुआ तो कैसे हुआ

फ़राग़ रोहवी

कभी न सोचा था मैं ने उड़ान भरते हुए

फ़राग़ रोहवी

जो भी अंजाम हो आग़ाज़ किए देते हैं

फ़राग़ रोहवी

मौजों के इत्तिहाद का आलम न पूछिए

फ़ना निज़ामी कानपुरी

इक तिश्ना-लब ने बढ़ के जो साग़र उठा लिया

फ़ना निज़ामी कानपुरी

जो दिल को पहले मयस्सर था क्या हुआ उस का

फ़ैज़ी

बहुत सा काम तो पहले ही कर लिया मैं ने

फ़ैज़ान हाशमी

सियासी लीडर के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नज़्म

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जब तेरी समुंदर आँखों में

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हिमाला की दासियाँ

फ़ैसल सईद फ़ैसल

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