मौजों के इत्तिहाद का आलम न पूछिए
क़तरा उठा और उठ के समुंदर उठा लिया
Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2082) Peoples Rate This
गुल तो गुल ख़ार तक चुन लिए हैं
तू फूल की मानिंद न शबनम की तरह आ
यूँ तिरी तलाश में तेरे ख़स्ता-जाँ चले
दुनिया पे ऐसा वक़्त पड़ेगा कि एक दिन
आज उस से मैं ने शिकवा किया था शरारतन
दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
ग़ैरत-ए-अहल-ए-चमन को क्या हुआ
कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है
तरतीब दे रहा था मैं फ़हरिस्त-ए-दुश्मनान
ऐ जल्वा-ए-जानाना फिर ऐसी झलक दिखला
घर हुआ गुलशन हुआ सहरा हुआ
चेहरा-ए-सुब्ह नज़र आया रुख़-ए-शाम के बाद