छाया Poetry (page 5)

यूँ तो इख़्लास में इस के कोई धोका भी नहीं

सय्यदा शान-ए-मेराज

पुरानी मोटर

सय्यद ज़मीर जाफ़री

मोहताज नहीं क़ाफ़िला आवाज़-ए-दरा का

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

तुझ से टूटा रब्त तो फिर और क्या रह जाएगा

सय्यद शकील दस्नवी

पुराना कोट

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

ईद की अचकन

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

यादश-ब-ख़ैर साया-फ़गन घर ही और था

सय्यद मज़हर जमील

था आईने के सामने चेहरा खुला हुआ

सय्यद अहमद शमीम

वो जहाँ हैं वहीं ख़याल मिरा

स्वप्निल तिवारी

उठो यहाँ से कहीं और जा के सो जाओ

सुरेन्द्र पंडित सोज़

किसी के ख़्वाब का साया था काफ़ी वक़्त हुआ

सुनील कुमार जश्न

हम ने माना कि जहाँ हम थे गुलिस्ताँ तो न था

सुल्तान गौरी

रोज़ ओ शब इस सोच में डूबा रहता हूँ

सुलेमान ख़ुमार

कचोके दिल को लगाता हुआ सा कुछ तो है

सुलेमान ख़ुमार

इस घनी शब का सवेरा नहीं आने वाला

सुलेमान ख़ुमार

प्यार का दर्द का मज़हब नहीं होता कोई

सुलैमान अरीब

मेरा साया है मिरे साथ जहाँ जाऊँ मैं

सुलैमान अरीब

नंग-ए-एहसास है अंदोह-ए-ग़रीब-उल-वतनी

सुलैमान आसिफ़

जैसा हमें गुमान था वैसा नहीं रहा

सुहैल अहमद ज़ैदी

उठी है जो क़दमों से वो दामन से अड़ी है

सूफ़ी तबस्सुम

आँखें खुली थीं सब की कोई देखता न था

सूफ़ी तबस्सुम

दिल से अब तो नक़्श-ए-याद-ए-रफ़्तगाँ भी मिट गया

सिराज मुनीर

क़द तिरा सर्व-ए-रवाँ था मुझे मालूम न था

सिराज औरंगाबादी

शरीक-ए-ग़म कोई कब मो'तबर निकलता है

सिद्दीक़ मुजीबी

ले उड़े ख़ाक भी सहरा के परस्तार मिरी

सिद्दीक़ अफ़ग़ानी

बुल-हवस में भी न था वो बुत भी हरजाई न था

सिद्दीक़ अफ़ग़ानी

दिल की बस्ती पे किसी दर्द का साया भी नहीं

सिद्दीक़ शाहिद

मैं किसी की रात का तन्हा चराग़

शुमाइला बहज़ाद

अब के बरस हूँ जितना तन्हा

शोज़ेब काशिर

ये एक साया ग़नीमत है रोक लो वर्ना

शोएब निज़ाम

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