उठो यहाँ से कहीं और जा के सो जाओ

उठो यहाँ से कहीं और जा के सो जाओ

यहाँ के शोर से भागो कहीं भी खो जाओ

लहू लहू न करो ज़िंदगी के चेहरे को

सितमगरों की नवाज़िश से दूर हो जाओ

कहाँ फिरोगे ग़ुबार-ए-सफ़र को साथ लिए

मता-ए-दर्द को दामन में ले के सो जाओ

करम की भीक कहाँ क़ातिलों की बस्ती में

बदन का ख़ोल उठाओ लहद में सो जाओ

ये साया-दार शजर तो फ़रेब देते हैं

ख़िज़ाँ के साथ रहो आँधियों के हो जाओ

ये ज़िंदगी तो फ़रेबों का आइना ठहरी

अब अपनी खोज में भटको फ़रार हो जाओ

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In Hindi By Famous Poet Surender Pandit Soz. is written by Surender Pandit Soz. Complete Poem in Hindi by Surender Pandit Soz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.