सजा Poetry (page 9)

न जाने कल हों कहाँ साथ अब हवा के हैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

बजाए हम-सफ़री इतना राब्ता है बहुत

राजेन्द्र मनचंदा बानी

अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का

राजेन्द्र मनचंदा बानी

जाने किस ख़्वाब का सय्याल नशा हूँ मैं भी

राज नारायण राज़

बस इक ख़ता की मुसलसल सज़ा अभी तक है

रईस सिद्दीक़ी

बस इक ख़ता की मुसलसल सज़ा अभी तक है

रईस सिद्दीक़ी

यास-ओ-हिरास-ओ-जौर-ओ-जफ़ा से अलग-थलग

राही फ़िदाई

मता-ओ-माल-ए-हवस हुब्ब-ए-आल सामने है

राही फ़िदाई

अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ है

इरफ़ान सत्तार

रस्म-ए-उल्फ़त से है मक़्सूद-ए-वफ़ा हो कि न हो

इरफ़ान अहमद मीर

'इक़बाल' यूँही कब तक हम क़ैद-ए-अना काटें

इक़बाल कौसर

अफ़सोस माबदों में ख़ुदा बेचते हैं लोग

इक़बाल कैफ़ी

साइल के लबों पर है दुआ और तरह की

इक़बाल कैफ़ी

कैफ़-ए-हयात तेरे सिवा कुछ नहीं रहा

इक़बाल कैफ़ी

नक़्श माज़ी के जो बाक़ी हैं मिटा मत देना

इक़बाल अज़ीम

आँखों से नूर दिल से ख़ुशी छीन ली गई

इक़बाल अज़ीम

हरा-भरा था चमन में शजर अकेला था

इंतिख़ाब अालम

मिटती क़द्रों में भी पाबंद-ए-वफ़ा हैं हम लोग

इंद्र मोहन मेहता कैफ़

किस ख़ता की सज़ा मिली उस को

इन्दिरा वर्मा

तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है

इन्दिरा वर्मा

आज फिर चाँद उस ने माँगा है

इन्दिरा वर्मा

हम-साए में शैतान भी रहता है ख़ुदा भी

इमरान आमी

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

ख़ुर्शीद-रुख़ों का सामना है

इमदाद अली बहर

मंज़िलों का मैं पता भी दूँगा

इकराम तबस्सुम

मुज़्तरिब आप के बिना है जी

इफ़्तिख़ार राग़िब

मिरे नुक़ूश तिरे ज़ेहन से मिटा देगा

इफ़्तिख़ार नसीम

ख़ाक में दौलत-ए-पिंदार-ओ-अना मिलती है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

दर्द अब दिल की दवा हो जैसे

इफ़्तिख़ार आज़मी

ख़ूँ में तर सब्र की चादर कहाँ ले जाओगे

इफ़्फ़त अब्बास

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