रात Poetry (page 46)

दिन में जो साथ सब के हँसता था

इंद्र सराज़ी

कोई बाग़ सा सजा हुआ मिरे सामने

इनाम नदीम

अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है

इनाम नदीम

हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना

इम्तियाज़ साग़र

हैं घर की मुहाफ़िज़ मिरी दहकी हुई आँखें

इम्तियाज़ साग़र

वो शाम ढले तेरा मिलना वो तेरा हँसाना याद नहीं

इमरान साग़र

तलाश मैं ने ज़िंदगी में तेरी बे-शुमार की

इमरान हुसैन आज़ाद

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था

इम्दाद इमाम असर

हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है

इम्दाद इमाम असर

तारे गिनते रात कटती ही नहीं आती है नींद

इमदाद अली बहर

सर्व में रंग है कुछ कुछ तिरी ज़ेबाई का

इमदाद अली बहर

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

मेरे आगे तज़्किरा माशूक़-ओ-आशिक़ का बुरा

इमदाद अली बहर

मैं गिला तुम से करूँ ऐ यार किस किस बात का

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

हमीं नाशाद नज़र आते हैं दिल-शाद हैं सब

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

गर्दिश-ए-चर्ख़ से क़याम नहीं

इमदाद अली बहर

ऐसे पुर-नूर-ओ-ज़िया यार के रुख़्सारे हैं

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

ख़्वाब ही में नज़र आ जाए शब-ए-हिज्र कहीं

इमाम बख़्श नासिख़

ऐ अजल एक दिन आख़िर तुझे आना है वले

इमाम बख़्श नासिख़

सब हमारे लिए ज़ंजीर लिए फिरते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

है मोहब्बत सब को उस के अबरू-ए-ख़मदार की

इमाम बख़्श नासिख़

आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे

इमाम बख़्श नासिख़

वक़्त वक़्त की बात है या दस्तूर है दुनिया का साईं

इलियास इश्क़ी

न-जाने कौन तिरे काख़-ओ-कू में आएगा

इलियास बाबर आवान

कफ़ील-ए-साअ'त-ए-सय्यार रक्खा होता है

इलियास बाबर आवान

मौत सी ख़मोशी जब उन लबों पे तारी की

इकराम मुजीब

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