व्यक्ति Poetry (page 20)

हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला

हिलाल फ़रीद

हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला

हिलाल फ़रीद

ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

वो बद-दुआ उसे समझे अगर दुआ लिक्खूँ

हयात लखनवी

वहम-ओ-गुमाँ में भी कहाँ ये इंक़िलाब था

हयात लखनवी

भरे सफ़र में घड़ी-भर का आश्ना न मिला

हसनैन जाफ़री

परिंदा क़ैद में कुल आसमान भूल गया

हाशिम रज़ा जलालपुरी

जो भी यहाँ हुआ वो बहुत ही बुरा हुआ

हसीर नूरी

तिरी मदद का यहाँ तक हिसाब देना पड़ा

हसीब सोज़

तमाम शोबदे उस के कमाल उस के हैं

हसन रिज़वी

कभी आबाद करता है कभी बरबाद करता है

हसन रिज़वी

इस दर्जा मेरी ज़ात से उस को हसद हुआ

हसन रिज़वी

शाख़ से फूल को फिर जुदा कर दिया

हसन निज़ामी

यही तो ग़म है वो शाइ'र न वो सियाना था

हसन नईम

वो भी कहता था कि उस ग़म का मुदावा ही नहीं

हसन नईम

दिल में हो आस तो हर काम सँभल सकता है

हसन नईम

आरज़ू थी कि तिरा दहर भी शोहरा होवे

हसन नईम

मंज़र में अगर कुछ भी दिखाई नहीं देगा

हसन नासिर

वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब

हसन बरेलवी

सीने में चराग़ जल रहा है

हसन अख्तर जलील

वो शख़्स तो मुझे हैरान करता जाता था

हसन अकबर कमाल

इक परिंदे की तरह उड़ गया कुछ देर हुई

हसन अब्बासी

रात-दिन पुर-शोर साहिल जैसा मंज़र मुझ में था

हसन अब्बासी

रात ये कौन मिरे ख़्वाब में आया हुआ था

हसन अब्बासी

मकीं यहीं का है लेकिन मकाँ से बाहर है

हसन अब्बास रज़ा

क्या शख़्स था उड़ाता रहा उम्र भर मुझे

हसन अब्बास रज़ा

सीने की ख़ानक़ाह में आने नहीं दिया

हसन अब्बास रज़ा

मकीं यहीं का है लेकिन मकाँ से बाहर है

हसन अब्बास रज़ा

संग बरसेंगे और मुस्कुराएँगे हम

हनीफ़ अख़गर

शहर-ए-तरब में आज अजब हादिसा हुआ

हामिद सरोश

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