व्यक्ति Poetry (page 18)

जिस तरफ़ देखिए बाज़ार उदासी का है

इनआम आज़मी

वो संगलाख़ ज़मीनों में शेर कहता था

इम्तियाज़ साग़र

उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए

इमरान-उल-हक़ चौहान

कुछ तो ऐ यार इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई हो

इमरान शनावर

दुनिया भर के दुख का हासिल

इमरान शमशाद

मुद्दत से आदमी का यही मसअला रहा

इमरान शमशाद

तुझ को खो देने का एहसास हुआ तेरे बा'द

इमरान साग़र

मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा

इमरान हुसैन आज़ाद

जितने पानी में कोई डूब के मर सकता है

इमरान आमी

जो नर्म लहजे में बात करना सिखा गया है

इम्दाद हमदानी

जज़्ब-ए-उल्फ़त ने दिखाया असर अपना उल्टा

इमदाद अली बहर

अब मरना है अपने ख़ुशी है जीने से बे-ज़ारी है

इमदाद अली बहर

ने आदमी पसंद न इस को ख़ुदा पसंद

इम्दाद आकाश

लम्हा मिरी गिरफ़्त में आया निकल गया

इम्दाद आकाश

टिमटिमाता हुआ मंदिर का दिया हो जैसे

इमाम अाज़म

शहर में ओले पड़े हैं सर सलामत है कहाँ

इमाम अाज़म

जो मज़े आज तिरे ग़म के अज़ाबों में मिले

इमाम अाज़म

ख़्वाजा-सरा

इलियास बाबर आवान

वो मिला मुझ को न जाने ख़ोल कैसा ओढ़ कर

इफ़्तिख़ार नसीम

तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी

इफ़्तिख़ार नसीम

न जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना

इफ़्तिख़ार नसीम

किसी के हक़ में सही फ़ैसला हुआ तो है

इफ़्तिख़ार नसीम

कभी कभी तो ये हालत भी की मोहब्बत ने

इफ़्तिख़ार मुग़ल

दश्त-ए-बे-सम्त में रुकना भी सफ़र ऐसा था

इफ़्तिख़ार बुख़ारी

दिल उन के साथ मगर तेग़ और शख़्स के साथ

इफ़्तिख़ार आरिफ़

एक उदास शाम के नाम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये क़र्ज़-ए-कज-कुलही कब तलक अदा होगा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये मो'जिज़ा भी किसी की दुआ का लगता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सजल कि शोर ज़मीनों में आशियाना करे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मेरा मालिक जब तौफ़ीक़ अर्ज़ानी करता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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