व्यक्ति Poetry (page 16)

मुजरिम है तुम्हारा तो सज़ा क्यूँ नहीं देते

राशिद फ़ज़ली

मुसाहिबत का कोई सिलसिला नहीं है क्या

राशिद अनवर राशिद

ये कौन सा सूरज मिरे पहलू में खड़ा है

रशीद क़ैसरानी

सहरा सहरा बात चली है नगरी नगरी चर्चा है

रशीद क़ैसरानी

मिरी जबीं का मुक़द्दर कहीं रक़म भी तो हो

रशीद क़ैसरानी

मेरे लिए तो हर्फ़-ए-दुआ हो गया वो शख़्स

रशीद क़ैसरानी

आया उफ़ुक़ की सेज तक आ कर पलट गया

रशीद क़ैसरानी

मैं चोब-ए-ख़ुश्क सही वक़्त का हूँ सहरा में

रशीद निसार

कोई तो है कि नए रास्ते दिखाए मुझे

रशीद निसार

ठहर जावेद के अरमाँ दिल-ए-मुज़्तर निकलते हैं

रशीद लखनवी

तीर जैसे कमान के आगे

रसा चुग़ताई

मुमकिन है वो दिन आए कि दुनिया मुझे समझे

रसा चुग़ताई

है लेकिन अजनबी ऐसा नहीं है

रसा चुग़ताई

ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

हर शख़्स यहाँ साहिब-ए-इदराक नहीं है

राणा गन्नौरी

मोहब्बतों के लिए उम्र कम है सो वो शख़्स

राना आमिर लियाक़त

अपनों के दरमियान सलामत नहीं रहे

रमेश कँवल

लहकती लहरों में जाँ है किनारे ज़िंदा हैं

राम रियाज़

मुझे मिली है अगर इन्फ़िरादियत की सनद

राम दास

हुक्म-ए-मुर्शिद पे ही जी उठना है मर जाना है

राकिब मुख़्तार

तीरगी बला की है मैं कोई सदा लगाऊँ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न मंज़िलें थीं न कुछ दिल में था न सर में था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है

राजेश रेड्डी

यूँ देखिए तो आँधी में बस इक शजर गया

राजेश रेड्डी

यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है

राजेश रेड्डी

ग़म को दिल का क़रार कर लिया जाए

राजेश रेड्डी

क्या बात थी कि जो भी सुना अन-सुना हुआ

राज नारायण राज़

बूँदें पड़ी थीं छत पे कि सब लोग उठ गए

राज नारायण राज़

बाहम सुलूक-ए-ख़ास का इक सिलसिला भी है

राज नारायण राज़

अशआर रंग रूप से महरूम क्या हुए

राज नारायण राज़

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