सितम Poetry (page 26)

इश्क़ शबनम नहीं शरारा है

दर्शन सिंह

दौलत मिली जहान की नाम-ओ-निशाँ मिले

दर्शन सिंह

किस क़दर इज़्तिराब है यारो

दानिश फ़राही

ज़माने के क्या क्या सितम देखते हैं

दाग़ देहलवी

तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं

दाग़ देहलवी

सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना

दाग़ देहलवी

शब-ए-वस्ल ज़िद में बसर हो गई

दाग़ देहलवी

फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्यूँकर

दाग़ देहलवी

निगाह-ए-शोख़ जब उस से लड़ी है

दाग़ देहलवी

लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है

दाग़ देहलवी

खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से

दाग़ देहलवी

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया

दाग़ देहलवी

काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है

दाग़ देहलवी

जल्वे मिरी निगाह में कौन-ओ-मकाँ के हैं

दाग़ देहलवी

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया

दाग़ देहलवी

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

दाग़ देहलवी

यूँही जलाए चलो दोस्तो भरम के चराग़

डी. राज कँवल

गुनगुनाती हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ

चरख़ चिन्योटी

बात कहने के लिए बात बनाई न गई

चरख़ चिन्योटी

बात कहने के लिए बात बनाई न गई

चरख़ चिन्योटी

लौट चलिए

चन्द्रभान ख़याल

कभी हवा ने कभी उड़ते पत्थरों ने किया

चंद्र प्रकाश शाद

उन्हें ये फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है

चकबस्त ब्रिज नारायण

ख़ुद को तमाशा ख़ूब बनाता रहा हूँ मैं

बबल्स होरा सबा

किसी के सितम इस क़दर याद आए

बिस्मिल सईदी

सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते

बिस्मिल सईदी

ये बुत फिर अब के बहुत सर उठा के बैठे हैं

बिस्मिल अज़ीमाबादी

अब मुलाक़ात कहाँ शीशे से पैमाने से

बिस्मिल अज़ीमाबादी

रहे न एक भी बेदाद-गर सितम बाक़ी

भारतेंदु हरिश्चंद्र

दिल मिरा तीर-ए-सितम-गर का निशाना हो गया

भारतेंदु हरिश्चंद्र

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