सूरज Poetry (page 3)

हर आदमी को ख़्वाब दिखाना मुहाल है

ज़हीर ग़ाज़ीपुरी

आइने में ख़ुद अपना चेहरा है

ज़हीर ग़ाज़ीपुरी

मिरी उम्मीद का सूरज कि तेरी आस का चाँद

ज़फ़र मुरादाबादी

तमाम रंग जहाँ इल्तिजा के रक्खे थे

ज़फ़र मुरादाबादी

रात भर सूरज के बन कर हम-सफ़र वापस हुए

ज़फ़र मुरादाबादी

हर इंतिख़ाब यहाँ माज़ी-ओ-अक़ब का है

ज़फ़र मुरादाबादी

खिड़की से महताब न देखो

ज़फ़र कलीम

मेरी सूरज से मुलाक़ात भी हो सकती है

ज़फ़र इक़बाल

अपने सोए हुए सूरज की ख़बर ले जा कर

ज़फ़र इक़बाल

फिर कोई शक्ल नज़र आने लगी पानी पर

ज़फ़र इक़बाल

किस नए ख़्वाब में रहता हूँ डुबोया हुआ मैं

ज़फ़र इक़बाल

इसे मंज़ूर नहीं छोड़ झगड़ता क्या है

ज़फ़र इक़बाल

मेरे नाज़ुक सवाल में उतरो

ज़फ़र हमीदी

बदन कजला गया तो दिल की ताबानी से निकलूँगा

ज़फ़र गोरखपुरी

हालत-ए-बीमार-ए-ग़म पर जिस को हैरानी नहीं

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

सवाली

यूसुफ़ ज़फ़र

ख़बर

यूसुफ़ ज़फ़र

दर्द हद से सिवा दिया तू ने

यूनुस ग़ाज़ी

ज़ेहन का कुछ मुंतशिर तो हाल का ख़स्ता रहा

यासीन अफ़ज़ाल

रौशनी मेरे चराग़ों की धरी रहना थी

याक़ूब यावर

मसअलों की भीड़ में इंसाँ को तन्हा कर दिया

याक़ूब यावर

अल-अमाँ कि सूरज है मेरी जान के पीछे

याक़ूब यावर

ज़ात के रोग में

वज़ीर आग़ा

हथेली

वज़ीर आग़ा

अब दिन की बातें करते हैं

वज़ीर आग़ा

धार सी ताज़ा लहू की शबनम-अफ़्शानी में है

वज़ीर आग़ा

रख देता है ला ला के मुक़ाबिल नए सूरज

वसीम बरेलवी

ख़्वाब नहीं देखा है

वसीम बरेलवी

चाँद का ख़्वाब उजालों की नज़र लगता है

वसीम बरेलवी

वक़्त-ए-रुख़्सत शबनमी सौग़ात की बातें करो

वलीउल्लाह वली

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