केक Poetry (page 10)

अफ़्सोस क्या जो हम भी तुम्हारे नहीं रहे

सरदार सोज़

फ़िक्र ओ एहसास के तपते हुए मंज़र तक आ

सरदार सलीम

हमारी काविश-ए-शेर-ओ-सुख़न बे-कार जाती है

सदार आसिफ़

ये आह-ओ-फ़ुग़ाँ क्यूँ है दिल-ए-ज़ार के आगे

साक़िब लखनवी

तुझे ख़बर है तुझे याद क्यूँ नहीं करते

साक़ी फ़ारुक़ी

वो आरज़ू कि दिलों को उदास छोड़ गई

समद अंसारी

अपनी लौ में कोई डूबा ही नहीं

समद अंसारी

सीमिया

सलमान अंसारी

ज़ख़्म-दर-ज़ख़्म सुख़न और भी होता है वसीअ

सलीम सिद्दीक़ी

ख़्वाहिश-ए-तख़्त न अब दिरहम-ओ-दीनार की गूँज

सलीम सिद्दीक़ी

मुर्दा रगों में ख़ून की गर्मी कहाँ से आई

सलीम शाहिद

तू ने ग़म ख़्वाह-मख़ाह उस का उठाया हुआ है

सलीम सरफ़राज़

तिरी निगाह की जब से मुआ'विनत न रही

सलीम सरफ़राज़

रंग-ए-ख़ुलूस गंग-ओ-जमन में नहीं रहा

सलीम सरफ़राज़

वो जिन के नक़्श-ए-क़दम देखने में आते हैं

सलीम कौसर

लय मोहब्बत की है आहंग सुख़न-साज़ का है

सलीम कौसर

तिरी निगाह की जब से मुआवनत न रही

सलीम फ़राज़

इक एक लफ़्ज़ में कई पहलू कहाँ से आए

सलीम फ़राज़

देख माज़ी के दरीचों को कभी खोला न कर

सलीम फ़राज़

अभी मौजूद थी लेकिन अभी गुम हो गई है

सलीम फ़राज़

समाअतों को अमीन-ए-नवा-ए-राज़ किया

सलीम अहमद

किन नक़ाबों में है मस्तूर वो हुस्न-ए-मा'सूम

सलीम अहमद

निस्बत वही माह-ए-आसमाँ से

सख़ी लख़नवी

ना-ख़ुश जो हो गुल-बदन किसी का

सख़ी लख़नवी

हमारे दम से है रौशन दयार-ए-फ़िक्र-ओ-सुख़न

सज्जाद बाक़र रिज़वी

पूछो मुझे ऐ हम-नफ़साँ कौन हूँ क्या हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

मिरे सफ़र की हदें ख़त्म अब कहाँ होंगी

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल दश्त है वफ़ूर-ए-तमन्ना ग़ुबार है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अहद-ए-वफ़ा सुबुक-हवा रंग-ए-वफ़ा के साथ साथ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

खोल कर बात का भरम दोनों

सज्जाद बलूच

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