संबंध Poetry (page 10)

वो करम हो कि सितम एक तअल्लुक़ है ज़रूर

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

मिले भी दोस्त तो इस तर्ज़-ए-बे-दिली से मिले

गुलाम जीलानी असग़र

हमारा उन का तअ'ल्लुक़ जो रस्म-ओ-राह का था

गुलाम जीलानी असग़र

क़त्अ कीजे न तअ'ल्लुक़ हम से

ग़ालिब

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

ग़ालिब

जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे क्या रोता है

फ़िराक़ गोरखपुरी

हमारे उन के तअल्लुक़ का अब ये आलम है

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

ग़मों से खेलते रहना कोई हँसी भी नहीं

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

इक तअल्लुक़ था जिसे आग लगा दी उस ने

फ़ाज़िल जमीली

शौक़ीन मिज़ाजों के रंगीन तबीअ'त के

फ़ाज़िल जमीली

मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं

फ़ाज़िल जमीली

ख़्वाब में देख रहा हूँ कि हक़ीक़त में उसे

फ़ाज़िल जमीली

किसी लम्हे तो ख़ुद से ला-तअल्लुक़ भी रहो लोगो

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

सुलगना अंदर अंदर मिस्रा-ए-तर सोचते रहना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

शिकवा हम तुझ से भला तेज़ हवा क्या करते

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

तुम मुझे छोड़ के इस तरह नहीं जा सकते

फ़व्वाद अहमद

उन निगाहों को हम-आवाज़ किया है मैं ने

फ़व्वाद अहमद

चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया

फ़सीह अकमल

वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मिरे साथ

फ़रताश सय्यद

वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मेरे साथ

फ़रताश सय्यद

ये गर्द-ए-राह ये माहौल ये धुआँ जैसे

फ़ारूक़ मुज़्तर

दिल नहीं मिलने का फिर मेरा सितमगर टूट कर

फ़रोग़ हैदराबादी

हवास लूट लिए शोरिश-ए-तमन्ना ने

फ़ारिग़ बुख़ारी

था पहला सफ़र उस की रिफ़ाक़त भी नई थी

फ़रहत नदीम हुमायूँ

नए मिज़ाज की तश्कील करना चाहते हैं

फ़रहत नदीम हुमायूँ

न दौलत की तलब थी और न दौलत चाहिए है

फ़रहत नदीम हुमायूँ

ख़त बहुत उस के पढ़े हैं कभी देखा नहीं है

फ़रहत एहसास

चराग़-ए-शहर से शम-ए-दिल-ए-सहरा जलाना

फ़रहत एहसास

वो मेरे बारे में ऐसे भी सोचता कब था

फ़रह इक़बाल

कमी ज़रा सी अगर फ़ासले में आ जाए

फ़राग़ रोहवी

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