संबंध Poetry (page 14)

तर्क-ए-वादा कि तर्क-ए-ख़्वाब था वो

अख़्तर हुसैन जाफ़री

तिलिस्म-ए-गुम्बद-ए-बे-दर किसी पे वा न हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

अपने क़दमों ही की आवाज़ से चौंका होता

अख़्तर होशियारपुरी

हंगामा-ए-आफ़ात इधर भी है उधर भी

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

यूँ मिरी तब्अ से होते हैं मआनी पैदा

अकबर इलाहाबादी

तुम्हारे दिल की तरह ये ज़मीन तंग नहीं

अकबर अली खान अर्शी जादह

और तो ख़ैर क्या रह गया

अजमल सिराज

ये बरसों का तअल्लुक़ तोड़ देना चाहते हैं हम

ऐतबार साजिद

मकीनों के तअल्लुक़ ही से याद आती है हर बस्ती

ऐतबार साजिद

ये बरसों का तअल्लुक़ तोड़ देना चाहते हैं हम

ऐतबार साजिद

तर्क-ए-तअल्लुक़ कर तो चुके हैं इक इम्कान अभी बाक़ी है

ऐतबार साजिद

मुझ से मुख़्लिस था न वाक़िफ़ मिरे जज़्बात से था

ऐतबार साजिद

मिरा है कौन दुश्मन मेरी चाहत कौन रखता है

ऐतबार साजिद

धड़कन धड़कन यादों की बारात अकेला कमरा

ऐतबार साजिद

कैसे अफ़्सूँ थे वहाँ कैसे फ़साने थे उधर

ऐन ताबिश

तसव्वुर को जगा रक्खा है उस ने

अहमद शनास

सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ

अहमद शनास

मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक़ है रज़ा तेरी

अहमद नदीम क़ासमी

मुदावा हब्स का होने लगा आहिस्ता आहिस्ता

अहमद नदीम क़ासमी

हम कभी इश्क़ को वहशत नहीं बनने देते

अहमद नदीम क़ासमी

ख़ून-ए-दिल से किश्त-ए-ग़म को सींचता रहता हूँ मैं

अहमद मुश्ताक़

ये तअल्लुक़ तिरी पहचान बना सकता था

अहमद ख़याल

शहर-ए-सदमात से आगे नहीं जाने वाला

अहमद ख़याल

कोई हैरत है न इस बात का रोना है हमें

अहमद ख़याल

किया है दिल ने बेगाना जहान-ए-मुर्ग़-ओ-माही से

अहमद जावेद

उम्र भर कौन निभाता है तअल्लुक़ इतना

अहमद फ़राज़

'फ़राज़' तर्क-ए-तअल्लुक़ तो ख़ैर क्या होगा

अहमद फ़राज़

देखा मुझे तो तर्क-ए-तअल्लुक़ के बावजूद

अहमद फ़राज़

था अबस तर्क-ए-तअल्लुक़ का इरादा यूँ भी

अहमद फ़राज़

सामने उस के कभी उस की सताइश नहीं की

अहमद फ़राज़

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