संबंध Poetry (page 13)

जो जल उठी है शबिस्ताँ में याद सी क्या है

अनवर शऊर

बस अब तर्क-ए-तअल्लुक़ के बहुत पहलू निकलते हैं

अनवर मसूद

हुए असीर तो फिर उम्र भर रिहा न हुए

अनवर महमूद खालिद

ख़ुदा भी मेरी तरह बा-कमाल ऐसा था

अनवर महमूद खालिद

तुझ से ये कैसा तअल्लुक़ है जिसे जब चाहूँ

अंजुम सलीमी

बे-मसरफ़ रिश्तों की फ़राग़त

अंजुम सलीमी

ये मोहब्बत का जो अम्बार पड़ा है मुझ में

अंजुम सलीमी

मुझे भी सहनी पड़ेगी मुख़ालिफ़त अपनी

अंजुम सलीमी

अच्छे मौसम में तग-ओ-ताज़ भी कर लेता हूँ

अंजुम सलीमी

आज़ार मिरे दिल का दिल-आज़ार न हो जाए

अंजुम ख़याली

तज्दीद

अमजद इस्लाम अमजद

समुंदर आसमान और मैं

अमजद इस्लाम अमजद

पर्दे में इस बदन के छुपें राज़ किस तरह

अमजद इस्लाम अमजद

उस के वादों से इतना तो साबित हुआ उस को थोड़ा सा पास-ए-तअल्लुक़ तो है

आमिर उस्मानी

दर्द बढ़ता गया जितने दरमाँ किए प्यास बढ़ती गई जितने आँसू पिए

आमिर उस्मानी

मैं ने क्यूँ तर्क-ए-तअल्लुक़ की जसारत की है

अमीर क़ज़लबाश

वो मसीहा न बना हम ने भी ख़्वाहिश नहीं की

अंबरीन हसीब अंबर

इस आरज़ी दुनिया में हर बात अधूरी है

अंबरीन हसीब अंबर

तस्वीर-ए-दर्द

अल्लामा इक़बाल

जवाब-ए-शिकवा

अल्लामा इक़बाल

तसव्वुर मुन्कशिफ़-अज़-बाम हो जाने से डरता हूँ

अली मुज़म्मिल

शहर-ए-दिल कुंज-ए-बयाबान नहीं था पहले

अली मुज़म्मिल

ज़िंदगी क्या है जो दिल हो तश्ना-ए-ज़ौक़-ए-वफ़ा

अली अख़्तर अख़्तर

मैं उन को कभी हद से गुज़रने नहीं दूँगा

अलीम उस्मानी

नाज़िल हुआ था शहर में काला अज़ाब एक

अलीम सबा नवेदी

वो तअल्लुक़ है तिरे ग़म से कि अल्लाह अल्लाह

अलीम अख़्तर

मोहब्बत क्या मोहब्बत का सिला क्या

अलीम अख़्तर

दिल को शाइस्ता-ए-एहसास-ए-तमन्ना न करें

अलीम अख़्तर

दिल ओ निगाह पे तारी रहे फ़ुसूँ उस का

अख़्तर रज़ा सलीमी

सिलसिला ज़ख़्म ज़ख़्म जारी है

अख़्तर नज़्मी

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