संबंध Poetry (page 15)

क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे

अहमद फ़राज़

नौहागरों में दीदा-ए-तर भी उसी का था

अहमद फ़राज़

न तेरा क़ुर्ब न बादा है क्या किया जाए

अहमद फ़राज़

मिज़ाज हम से ज़ियादा जुदा न था उस का

अहमद फ़राज़

कहा था किस ने कि अहद-ए-वफ़ा करो उस से

अहमद फ़राज़

जो क़ुर्बतों के नशे थे वो अब उतरने लगे

अहमद फ़राज़

जो भी दरून-ए-दिल है वो बाहर न आएगा

अहमद फ़राज़

हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे

अहमद फ़राज़

ये मिरा वहम तो कुछ और सुना जाता है

अहमद अता

ये अलग बात कि तज्दीद-ए-तअल्लुक़ न हुआ

अहमद अशफ़ाक़

सब जल गया जलते हुए ख़्वाबों के असर से

अहमद अशफ़ाक़

जितनी हम चाहते थे उतनी मोहब्बत नहीं दी

अहमद अशफ़ाक़

हम तिरे इश्क़ में कुछ ऐसे ठिकाने लग जाएँ

अहमद अशफ़ाक़

मुश्किल था बहुत मेरे लिए तर्क-ए-तअल्लुक़

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

इस तरह सताया है परेशान किया है

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

चलो कहीं पे तअल्लुक़ की कोई शक्ल तो हो

आफ़ताब हुसैन

निगाह के लिए इक ख़्वाब भी ग़नीमत है

आफ़ताब हुसैन

जब सफ़र से लौट कर आने की तय्यारी हुई

आफ़ताब हुसैन

धूप जब ढल गई तो साया नहीं

आफ़ताब हुसैन

देखे कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर के रंग भी

आफ़ताब हुसैन

किसी निशाँ से अलामत से या सनद से न हो

आफ़ताब अहमद

चल दिया वो देख कर पहलू मिरी तक़्सीर का

अदीम हाशमी

मंज़िलें न भूलेंगे राह-रौ भटकने से

अदीब सहारनपुरी

मंज़िलें न भूलेंगे राह-रौ भटकने से

अदीब सहारनपुरी

कोह-ए-ग़म से क्या ग़रज़ फ़िक्र-ए-बुताँ से क्या ग़रज़

अबू ज़ाहिद सय्यद यहया हुसैनी क़द्र

माना अपनी जान को वो भी दिल का रोग लगाएँगे

अबु मोहम्मद सहर

वक़्त गुज़रता नहीं

अबरार अहमद

तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी

अबरार अहमद

कफ़-ए-ख़िज़ाँ पे खिला मैं इस ए'तिबार के साथ

आबिद सयाल

कफ़-ए-ख़िज़ाँ पे खिला मैं इस ए'तिबार के साथ

आबिद सयाल

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