संबंध Poetry (page 3)

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है

तहज़ीब हाफ़ी

'ताबिश' हवस-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार कहाँ तक

ताबिश देहलवी

ग़ैर के हाथ में उस शोख़ का दामान है आज

ताबाँ अब्दुल हई

ग़ज़ब तो ये है मुक़ाबिल खड़ा है वो मेरे

ताब असलम

कोई भी नक़्श सलामत नहीं है चेहरे का

ताब असलम

गया शबाब पर इतना रहा तअल्लुक़-ए-इश्क़

तअशशुक़ लखनवी

यूँ तो इख़्लास में इस के कोई धोका भी नहीं

सय्यदा शान-ए-मेराज

दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रा'नाई बहुत

सय्यद ज़मीर जाफ़री

इस क़दर ग़ौर से देखा है सरापा उस का

सय्यद काशिफ़ रज़ा

लहू को दिल के जो सर्फ़-ए-बहार कर न सके

सय्यद हामिद

हमारे ख़्वाब कुछ इनइकास लगता है

सय्यद फ़ज़लुल मतीन

ज़ेब उस को ये आशोब-ए-गदाई नहीं देता

सय्यद अमीन अशरफ़

शौक़-ए-वारफ़्ता को मलहूज़-ए-अदब भी होगा

सय्यद अमीन अशरफ़

ख़ाकसारों से क़रीं रहता है

सय्यद अमीन अशरफ़

है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है

सय्यद अमीन अशरफ़

वो मिरा होगा ये सोचा ही नहीं

सय्यद अहमद शमीम

तेरी आँखों पे घने ख़्वाबों का पहरा हूँ मैं

सुलतान सुबहानी

जो नज़र आता नहीं दीवार में दर और है

सुलतान रशक

जीने की तमन्ना है न मरने की तमन्ना

सुलतान निज़ामी

साँस उखड़ी हुई सूखे हुए लब कुछ भी नहीं

सुल्तान अख़्तर

हरीफ़-ए-वक़्त हूँ सब से जुदा है राह मिरी

सुल्तान अख़्तर

हर बात तिरी जान-ए-जहाँ मान रहा हूँ

सुलैमान अरीब

वो जो सूरत थी साथ साथ कभी सुर्ख़ महके गुलाब की सूरत

सुबहान असद

ये तग़य्युर रू-नुमा हो जाएगा सोचा न था

सिराज अजमली

फिर सूरज ने शहर पे अपने क़हर का यूँ आग़ाज़ किया

सिराज अजमली

ब-ज़ाहिर जो नज़र आते हो तुम मसरूर ऐसा कैसे करते हो

सिराज अजमली

तअ'ल्लुक़ की ना-जाएज़ तजावुज़ात

सिदरा सहर इमरान

न पूछ मर्ग-ए-शनासाई का सबब क्या है

सिद्दीक़ मुजीबी

होंटों पे सुख़न आँखों में नम भी नहीं अब के

सिद्दीक़ मुजीबी

बिखरती टूटती शब का सितारा रख लिया मैं ने

सिद्दीक़ मुजीबी

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