संबंध Poetry (page 8)

रिश्ता-ए-दिल भी किसी दिन ख़्वाब सा हो जाएगा

रशीद कामिल

यूँ गँवाता है कोई जान-ए-अज़ीज़

रसा चुग़ताई

तू कोई ख़्वाब नहीं जिस से किनारा कर लें

राना आमिर लियाक़त

साए से हौसले के बिदकते हैं रास्ते

राम प्रकाश राही

न क़ाएल होते हैं न ज़ाइल

राजेन्द्र मनचंदा बानी

वो जिसे अब तक समझता था मैं पत्थर, सामने था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

सर-ब-सर एक चमकती हुई तलवार था मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

क़दम ज़मीं पे न थे राह हम बदलते क्या

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मैं चुप खड़ा था तअल्लुक़ में इख़्तिसार जो था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

कहीं ज़मीं से तअल्लुक़ न ख़त्म हो जाए

राजेन्द्र नाथ रहबर

नख़्ल-ए-उमीद-ओ-आरज़ू बे-बर्ग-ओ-बार है

राज कुमार सूरी नदीम

राज़-ए-गिरफ़्तगी न असीर-ए-लहन से पूछ

रईस अमरोहवी

जिस दर पे तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा न रहेगा

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैं

इरफ़ान सत्तार

है दर्द के इंतिसाब सा कुछ

इरफ़ान अहमद

चैत का फूल

इक़तिदार जावेद

ज़ब्त भी चाहिए ज़र्फ़ भी चाहिए और मोहतात पास-ए-वफ़ा चाहिए

इक़बाल अज़ीम

मौसम-ए-गुल है तिरे सुर्ख़ दहन की हद तक

इमरान-उल-हक़ चौहान

बात दिल को मिरे लगी नहीं है

इमरान आमी

अज़ीज़ गर था तअल्लुक़ तो किस लिए तोड़ा

इम्दाद आकाश

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

मेरा और फूलों का रिश्ता टूट गया

इलियास बाबर आवान

इस तरह सोई हैं आँखें जागते सपनों के साथ

इफ़्तिख़ार नसीम

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो

इफ़्तिख़ार नसीम

फिर उस के ब'अद तअल्लुक़ में फ़ासले होंगे

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

तिरे क़रीब रहूँ या कि दूर जाऊँ मैं

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

एक मुद्दत से सर-ए-दोश-ए-हवा हूँ मैं भी

इफ़्फ़त अब्बास

सुकूँ-परवर है जज़्बाती नहीं है

इबरत बहराईची

कुछ तो तअल्लुक़ कुछ तो लगाओ

इब्न-ए-सफ़ी

अहल-ए-वफ़ा से तर्क-ए-तअल्लुक़ कर लो पर इक बात कहें

इब्न-ए-इंशा

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