संबंध Poetry (page 6)

ज़ब्त से ना-आश्ना हम सब्र से बेगाना हम

सीमाब अकबराबादी

जिस जगह जम्अ तिरे ख़ाक-नशीं होते हैं

सीमाब अकबराबादी

बदन से रूह रुख़्सत हो रही है

सीमाब अकबराबादी

एक आवाज़ मैं ने सुनी थी अभी कौन बोला था ये तो ख़बर ही नहीं

सीमा ग़ज़ल

तन्हाई का इलाज ये महँगा बहुत पड़ा

सौरभ शेखर

हिसाब-ए-तर्क-तअल्लुक़ तमाम मैं ने किया

सऊद उस्मानी

ज़िंदगी के सब उभरते और ढलते ज़ाविए

सरवत मुख़तार

बढ़ती रही हर साल जो तादाद हमारी

सरफ़राज़ शाहिद

उसी का जल्वा-ए-ज़ेबा है चाँदनी क्या है

सरीर काबिरी

मसअला हुस्न-ए-तख़य्युल का है न इल्हाम का है

सलमा शाहीन

चश्म-ए-नम पहले शफ़क़ बन के सँवरना चाहे

सलमा शाहीन

तमाम उम्र की तन्हाइयों पे भारी थी

सलीम शुजाअ अंसारी

आज शायद ज़िंदगी का फ़ल्सफ़ा समझा हूँ मैं

सलीम शुजाअ अंसारी

मिरी थकन मिरे क़स्द-ए-सफ़र से ज़ाहिर है

सलीम शाहिद

न कोई नाम ओ नसब है न गोश्वारा मिरा

सलीम कौसर

पड़ा हुआ मैं किसी आइने के घर में हूँ

सलीम बेताब

वो बे-ख़ुदी थी मोहब्बत की बे-रुख़ी तो न थी

सलीम अहमद

'सलीम' दिल को मयस्सर सकूँ ज़रा न हुआ

सलीम अहमद

दीदनी है हमारी ज़ेबाई

सलीम अहमद

देखने के लिए इक शर्त है मंज़र होना

सलीम अहमद

हर्फ़-ए-तहज्जी सीख रहा हूँ

शख़ावत शमीम

शब की ज़ुल्फ़ें सँवारता हुआ मैं

सज्जाद बलूच

कुछ बे-नाम तअल्लुक़ जिन को नाम अच्छा सा देने में

साइमा असमा

हम से अगर है तर्क-ए-तअल्लुक़ तो क्या हुआ

साहिर लुधियानवी

मायूस तो हूँ वा'दे से तिरे

साहिर लुधियानवी

जश्न-ए-ग़ालिब

साहिर लुधियानवी

अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो

साहिर लुधियानवी

दिल को यकसूई ने दी तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ की सलाह

साहिर देहल्वी

उन से ऐ दोस्त मिरा यूँ कोई रिश्ता तो न था

साहिल अहमद

नौ-ब-नौ एक उमडता हुआ तूफ़ान था मैं

साहिल अहमद

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