एक आवाज़ मैं ने सुनी थी अभी कौन बोला था ये तो ख़बर ही नहीं
ये तअल्लुक़ ज़रूरी है किस ने कहा वो भी ख़ामोश था मैं भी ख़ामोश थी
Gulzar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
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Habib Jalib
Allama Iqbal
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Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
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शिकायत
सर्द होते हुए वजूद में बस
जज़्बों पर जब बर्फ़ जमे तो जीना मुश्किल होता है
मैं एक रोज़ उसे ढूँड कर तो ले आऊँ
परिंदा
हद से बढ़ने लगी जब मेरी घुटन तो देखा
मुझ को उस के नहीं ख़ुद मेरे हवाले करते
ऐसे कुछ हादसे भी गुज़रे हैं
डिकलाइन
बारिश थी और अब्र था दरिया था और बस
बे-क़रारी से मिरे पास वो आया लेकिन