जज़्बों पर जब बर्फ़ जमे तो जीना मुश्किल होता है
दिल के आतिश-दान में थोड़ी आग जलानी पड़ती है
Jaun Eliya
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Wasi Shah
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Gulzar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
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सर्द होते हुए वजूद में बस
मैं एक रोज़ उसे ढूँड कर तो ले आऊँ
मुझ को उस के नहीं ख़ुद मेरे हवाले करते
हद से बढ़ने लगी जब मेरी घुटन तो देखा
बे-क़रारी से मिरे पास वो आया लेकिन
परिंदा
मैं ने कहा था मुझ को अँधेरे का ख़ौफ़ है
शिकायत
डिकलाइन
एक आवाज़ मैं ने सुनी थी अभी कौन बोला था ये तो ख़बर ही नहीं
बारिश थी और अब्र था दरिया था और बस
ख़ुद अपने-आप से मिलने की ख़ातिर