व्याख्या Poetry (page 7)

मेरे सामने मेरे घर का पूरा नक़्शा बिखरा है

हकीम मंज़ूर

ज़ियारत होगी काबे की यही ताबीर है इस की

हैदर अली आतिश

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है

हैदर अली आतिश

उन निगाहों को अजब तर्ज़-ए-कलाम आता है

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

ज़िंदगी की रौशनी के इस्तिआरे ख़्वाब हैं

गुफ़्तार ख़याली

सोए हुए जज़्बों को जगाना ही नहीं था

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कुछ बे-तरतीब सितारों को पलकों ने किया तस्ख़ीर तो क्या

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ख़्वाब कहाँ से टूटा है ताबीर से पूछते हैं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

जज़्बों को किया ज़ंजीर तो क्या तारों को किया तस्ख़ीर तो क्या

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

आँख से बिछड़े काजल को तहरीर बनाने वाले

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

समझते हैं जो अपने बाप की जागीर मिट्टी को

ग़ुलाम हुसैन साजिद

दर्द के चाँद की तस्वीर ग़ज़ल में आए

ग़यास अंजुम

ख़्वाहिशें अपनी सराबों में न रक्खे कोई

ग़नी एजाज़

नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का

ग़ालिब

ग़म नहीं होता है आज़ादों को बेश अज़-यक-नफ़स

ग़ालिब

दिल सिलसिला-ए-शौक़ की तश्हीर भी चाहे

गौहर होशियारपुरी

दिल सिलसिला-ए-शौक़ की तश्हीर भी चाहे

गौहर होशियारपुरी

परछाइयाँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

ग़म-ओ-अलम से जो ताबीर की ख़ुशी मैं ने

फ़िगार उन्नावी

दास्तानों में मिले थे दास्ताँ रह जाएँगे

फ़ाज़िल जमीली

उस की दीवार पे मनक़ूश है वो हर्फ़-ए-वफ़ा

फ़सीह अकमल

मेरा हर ख़्वाब तो बस ख़्वाब ही जैसा निकला

फ़रहत नदीम हुमायूँ

नए मिज़ाज की तश्कील करना चाहते हैं

फ़रहत नदीम हुमायूँ

हाल में जीने की तदबीर भी हो सकती है

फ़रहत नदीम हुमायूँ

ऐ कातिब-ए-तक़दीर ये तक़दीर में लिख दे

फ़रहत नदीम हुमायूँ

वस्ल की रात में हम रात में बह जाते हैं

फ़रहत एहसास

हर घड़ी इंक़लाब में गुज़री

फ़ानी बदायुनी

हम तो मजबूर थे इस दिल से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मिटा के तीरगी तनवीर चाहता है दिल

फ़ैय्याज़ रश्क़

ज़िंदगी से मुकालिमा

फ़हीम शनास काज़मी

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