मांग Poetry (page 21)

आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

और ख़ुदा ख़ामोश था

फ़हीम शनास काज़मी

ऐ मुबारज़-तलब

फ़हीम शनास काज़मी

दरबानों तक के चेहरे रऊनत से मस्ख़ हैं

एजाज़ वारसी

राह-ए-तलब में अहल-ए-दिल जब हद-ए-आम से बढ़े

एजाज़ वारसी

ये घूमता हुआ आईना अपना ठहरा के

एजाज़ गुल

थम गई वक़्त की रफ़्तार तिरे कूचे में

एजाज़ गुल

इस्तादा है जब सामने दीवार कहूँ क्या

एजाज़ गुल

अक़्ल पहुँची जो रिवायात के काशाने तक

एहतिशाम हुसैन

ज़ख़्मों को मेरे दिल के सजाओ तो बने बात

एहसान जाफ़री

सोज़-ए-जुनूँ को दिल की ग़िज़ा कर दिया गया

एहसान दानिश

रानाई-ए-कौनैन से बे-ज़ार हमीं थे

एहसान दानिश

न सियो होंट न ख़्वाबों में सदा दो हम को

एहसान दानिश

जीने के लिए जो मर रहे हैं

एहसान दानिश

अपनी रुस्वाई का एहसास तो अब कुछ भी नहीं

एहसान दानिश

ज़ोम का ही तो आरिज़ा है मुझे

डॉक्टर आज़म

क्या किसी की तलब नहीं होती

दिनेश ठाकुर

लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब

दिलावर फ़िगार

चोर-साहिब से दरख़्वास्त

दिलावर फ़िगार

चालीस चोर

दिलावर फ़िगार

मख़्फ़ी हैं अभी दिरहम-ओ-दीनार हमारे

दिलावर अली आज़र

आरज़ू लुत्फ़ तलब इश्क़ सरासर नाकाम

दिल शाहजहाँपुरी

मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है

दिल शाहजहाँपुरी

दिल-ए-बे-मुद्दआ का मुद्दआ' क्या

द्वारका दास शोला

जवाज़

दाऊद ग़ाज़ी

तुझे क्या ख़बर मिरे हम-सफ़र मिरा मरहला कोई और है

दर्शन सिंह

निगाह-ए-मस्त-ए-साक़ी का सलाम आया तो क्या होगा

दर्शन सिंह

कोई सिवा-ए-बदन है न है वरा-ए-बदन

दानियाल तरीर

चश्म-ए-वा ही न हुई जल्वा-नुमा क्या होता

दानियाल तरीर

चाँद छूने की तलबगार नहीं हो सकती

दानियाल तरीर

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