मांग Poetry (page 22)

बिला-जवाज़ नहीं है फ़लक से जंग मिरी

दानियाल तरीर

ज़र्रे ज़र्रे में महक प्यार की डाली जाए

दानिश अलीगढ़ी

सुन के मिरा फ़साना उन्हें लुत्फ़ आ गया

दाग़ देहलवी

बे-तलब जो मिला मिला मुझ को

दाग़ देहलवी

मोहब्बत में आराम सब चाहते हैं

दाग़ देहलवी

काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है

दाग़ देहलवी

जल्वे मिरी निगाह में कौन-ओ-मकाँ के हैं

दाग़ देहलवी

इस क़दर नाज़ है क्यूँ आप को यकताई का

दाग़ देहलवी

सर उठा के मत चलिए आज के ज़माने में

चरण सिंह बशर

अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता

चकबस्त ब्रिज नारायण

मिरी रात मेरा चराग़ मेरी किताब दे

बुशरा एजाज़

दिल में है तलब और दुआ और तरह की

बुशरा एजाज़

शिकवा नसीब का न करे बार बार तू

बबल्स होरा सबा

हैराँ हूँ कि अब लाऊँ कहाँ से मैं ज़बाँ और

बिस्मिल साबरी

ख़याल को ज़ौ नज़र को ताबिश नफ़स को रख़शंदगी मिलेगी

बिर्ज लाल रअना

कब तक गर्दिश में रहना है कुछ तो बता अय्याम मुझे

भारत भूषण पन्त

ज़ाहिदों से न बनी हश्र के दिन भी या-रब

बेख़ुद देहलवी

मुझ को न दिल पसंद न वो बेवफ़ा पसंद

बेख़ुद देहलवी

दिल है मुश्ताक़ जुदा आँख तलबगार जुदा

बेख़ुद देहलवी

बेताब रहें हिज्र में कुछ दिल तो नहीं हम

बेख़ुद देहलवी

आशिक़ समझ रहे हैं मुझे दिल लगी से आप

बेख़ुद देहलवी

हलाक-ए-तेग़-ए-जफ़ा या शहीद-ए-नाज़ करे

बेदम शाह वारसी

बताए देती है बे-पूछे राज़ सब दिल के

बेदम शाह वारसी

अहसन तक़्वीम

बेबाक भोजपुरी

रौनक़ फ़रोग़-ए-दर्द से कुछ अंजुमन में है

बेबाक भोजपुरी

बख़्त क्या जाने भला या कि बुरा होता है

बेबाक भोजपुरी

बड़ी दिल-शिकन है रह-ए-सफ़र कोई हम-सफ़र है न यार है

बेबाक भोजपुरी

सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ

बयान मेरठी

चराग़ उस ने बुझा भी दिया जला भी दिया

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

यूँ खुल गया है राज़-ए-शिकस्त-ए-तलब कभी

बशीर ज़ैदी असीर

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