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मिरा ही बन के वो बुत मुझ से आश्ना न हुआ

ज़हीर काश्मीरी

लौह-ए-मज़ार देख के जी दंग रह गया

ज़हीर काश्मीरी

इस दौर-ए-आफ़ियत में ये क्या हो गया हमें

ज़हीर काश्मीरी

हमराह लुत्फ़-ए-चश्म-ए-गुरेज़ाँ भी आएगी

ज़हीर काश्मीरी

जब अधूरे चाँद की परछाईं पानी पर पड़ी

ज़फ़र सहबाई

जब अधूरे चाँद की परछाईं पानी पर पड़ी

ज़फ़र सहबाई

अमीर-ए-शहर इस इक बात से ख़फ़ा है बहुत

ज़फ़र सहबाई

रात भर सूरज के बन कर हम-सफ़र वापस हुए

ज़फ़र मुरादाबादी

जिसे अब तक तलाश करता हूँ

ज़फ़र इक़बाल

आतश ओ इंजिमाद है मुझ में

ज़फ़र इक़बाल

फिरे हैं धुन में तिरी हम इधर उधर तन्हा

ज़फ़र अकबराबादी

मुझे आगही का निशाँ समझ के मिटाओ मत

यासमीन हामिद

मसअलों की भीड़ में इंसाँ को तन्हा कर दिया

याक़ूब यावर

तिरी तलाश में मह की तरह मैं फिरता हूँ

वज़ीर अली सबा लखनवी

बादल बरस के खुल गया रुत मेहरबाँ हुई

वज़ीर आग़ा

सभी का धूप से बचने को सर नहीं होता

वसीम बरेलवी

मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारो

वसीम बरेलवी

रह-ए-कहकशाँ से गुज़र गया हमा-ईन-ओ-आँ से गुज़र गया

वक़ार बिजनोरी

उसे ज़िद कि 'वामिक़'-ए-शिकवा-गर किसी राज़ से न हो बा-ख़बर

वामिक़ जौनपुरी

मुझे उस जुनूँ की है जुस्तुजू जो चमन को बख़्श दे रंग ओ बू

वामिक़ जौनपुरी

मिरे फ़िक्र ओ फ़न को नई फ़ज़ा नए बाल-ओ-पर की तलाश है

वामिक़ जौनपुरी

जमालियात

वामिक़ जौनपुरी

ज़हराब पीने वाले अमर हो के रह गए

वामिक़ जौनपुरी

मिरे फ़िक्र ओ फ़न को नई फ़ज़ा नए बाल-ओ-पर की तलाश है

वामिक़ जौनपुरी

अभी तो हौसला-ए-कारोबार बाक़ी है

वामिक़ जौनपुरी

राएगाँ औक़ात खो कर हैफ़ खाना है अबस

वलीउल्लाह मुहिब

कौन ये रौशनी को समझाए

वजद चुगताई

राह-रौ चुप हैं राहबर ख़ामोश

वाहिद प्रेमी

ज़माने फिर नए साँचे में ढलने वाला है

वहीद क़ुरैशी

उम्र को करती हैं पामाल बराबर यादें

वहीद अख़्तर

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