जिसे अब तक तलाश करता हूँ
गुम-शुदा एक याद है मुझ में
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Anwar Masood
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1329) Peoples Rate This
किरदार उस को ढूँडते फिरते हैं जा-ब-जा
भरी रहे अभी आँखों में उस के नाम की नींद
तिरा चढ़ा हुआ दरिया समझ में आता है
जहाँ से कुछ न मिले हुस्न-ए-माज़रत के सिवा
अजब कोई ज़ोर-ए-बयाँ हो गया हूँ
अभी तो करना पड़ेगा सफ़र दोबारा मुझे
मौत के साथ हुई है मिरी शादी सो 'ज़फ़र'
परियों ऐसा रूप है जिस का लड़कों ऐसा नाँव
मिला तो मंज़िल-ए-जाँ में उतारने न दिया
गिरने की तरह का न सँभलने की तरह का
इश्क़ उदासी के पैग़ाम तो लाता रहता है दिन रात
मैं भी शरीक-ए-मर्ग हूँ मर मेरे सामने