अलगाव Poetry (page 17)

ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हम अहल-ए-जब्र के नाम-ओ-नसब से वाक़िफ़ हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

एहसास

इफ़्तिख़ार आज़मी

शब-ए-फ़ुर्क़त की तन्हाई का लम्हा

इफ़्फ़त अब्बास

देख कर मेरा दश्त-ए-तन्हाई

इब्न-ए-सफ़ी

ज़ेहन से दिल का बार उतरा है

इब्न-ए-सफ़ी

राह-ए-तलब में कौन किसी का अपने भी बेगाने हैं

इब्न-ए-सफ़ी

चाँद के तमन्नाई

इब्न-ए-इंशा

धूल-भरी आँधी में सब को चेहरा रौशन रखना है

हुसैन माजिद

दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे

होश तिर्मिज़ी

अन-कही

हिमायत अली शाएर

ज़िंदगी से मिली सौग़ात ये तन्हाई की

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

हर सदा से बच के वो एहसास-ए-तन्हाई में है

हयात लखनवी

सिलसिला ख़्वाबों का सब यूँही धरा रह जाएगा

हयात लखनवी

कब क़ाबिल-ए-तक़लीद है किरदार हमारा

हयात लखनवी

अश्क की ऐसी फ़रावानी पे रश्क आता है

हस्सान अहमद आवान

मुझ से तन्हाई में गर मिलिए तो दीजे गालियाँ

हसरत मोहानी

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

हसरत मोहानी

उम्र सारी यूँही गुज़ारी है

हसन रिज़वी

दिल में उतरोगे तो इक जू-ए-वफ़ा पाओगे

हसन नईम

शहर की भीड़ में शामिल है अकेला-पन भी

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

हर ज़ख़्म-ए-दिल से अंजुमन-आराई माँग लो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

आइने से न डरो अपना सरापा देखो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

सर उठा कर न कभी देखा कहाँ बैठे थे

हसन कमाल

बिसात दिल की भला क्या निगाह-ए-यार में है

हसन कमाल

देखूँ वो करती है अब के अलम-आराई कि मैं

हसन अज़ीज़

देखूँ वो करती है अब के अलम-आराई कि मैं

हसन अज़ीज़

आरज़ू की हमा-हामी और मैं

हसन अख्तर जलील

रंग-ए-सियाह के नाम एक नज़्म

हसन अकबर कमाल

माज़ी में रह जाने वाली आँखें

हसन अकबर कमाल

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