अलगाव Poetry (page 19)

आइना-आसा ये ख़्वाब-ए-नीलमीं रक्खूँगा मैं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

बैठे हैं ईद को सब यार बग़ल में ले कर

ग़ज़नफ़र अली ग़ज़नफ़र

ज़मीं के साथ फ़लक के सफ़र में हम भी हैं

ग़यास मतीन

मुंतज़िर

ग़ौसिया ख़ान सबीन

काव काव-ए-सख़्त-जानी हाए-तन्हाई न पूछ

ग़ालिब

तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है

ग़ालिब

नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का

ग़ालिब

न होगा यक-बयाबाँ माँदगी से ज़ौक़ कम मेरा

ग़ालिब

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से

ग़ालिब

दिल तमाम आईने तीरा कौन रौशन कौन

गौहर होशियारपुरी

दश्त-ए-तन्हाई में जीने का सलीक़ा सीखिए

फ़ुज़ैल जाफ़री

सुब्ह तक हम रात का ज़ाद-ए-सफ़र हो जाएँगे

फ़ुज़ैल जाफ़री

सर-ए-सहरा-ए-दुनिया फूल यूँ ही तो नहीं खिलते

फ़ुज़ैल जाफ़री

निभेगी किस तरह दिल सोचता है

फ़ुज़ैल जाफ़री

वह ज़ुल्म-ओ-सितम ढाए और मुझ से वफ़ा माँगे

फ़िरदौस गयावी

मैं हूँ दिल है तन्हाई है

फ़िराक़ गोरखपुरी

कहाँ का वस्ल तन्हाई ने शायद भेस बदला है

फ़िराक़ गोरखपुरी

हिण्डोला

फ़िराक़ गोरखपुरी

तुम्हें क्यूँकर बताएँ ज़िंदगी को क्या समझते हैं

फ़िराक़ गोरखपुरी

अब अक्सर चुप चुप से रहें हैं यूँही कभू लब खोलें हैं

फ़िराक़ गोरखपुरी

जिन ख़्वाबों से नींद उड़ जाए ऐसे ख़्वाब सजाए कौन

फ़ज़्ल ताबिश

मिरे वजूद को परछाइयों ने तोड़ दिया

फ़ाज़िल जमीली

ख़र्च जब हो गई जज़्बों की रक़म आप ही आप

फ़े सीन एजाज़

अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है

फ़े सीन एजाज़

उस की दीवार पे मनक़ूश है वो हर्फ़-ए-वफ़ा

फ़सीह अकमल

ग़ज़लों में अब वो रंग न रानाई रह गई

फ़ारूक़ शमीम

जुनूँ-आसार मौसम का पता कोई नहीं देगा

फ़ारूक़ नाज़की

वो न आएगा यहाँ वो नहीं आने वाला

फ़ारूक़ बख़्शी

पुकारा जब मुझे तन्हाई ने तो याद आया

फ़ारिग़ बुख़ारी

हर एक रास्ते का हम-सफ़र रहा हूँ मैं

फ़ारिग़ बुख़ारी

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