विसाल Poetry (page 11)

दो अलग लफ़्ज़ नहीं हिज्र ओ विसाल

फ़रहत एहसास

बस एक लम्स कि जल जाएँ सब ख़स-ओ-ख़ाशाक

फ़रहत एहसास

यही हिसाब-ए-मोहब्बत दोबारा कर के लाओ

फ़रहत एहसास

उस तरफ़ तू तिरी यकताई है

फ़रहत एहसास

तन्हाई के आब-ए-रवाँ के साहिल पर बैठा हूँ मैं

फ़रहत एहसास

सब लज़्ज़तें विसाल की बेकार करते हो

फ़रहत एहसास

पुराना ज़ख़्म जिसे तजरबा ज़ियादा है

फ़रहत एहसास

मिरी मोहब्बत में सारी दुनिया को इक खिलौना बना दिया है

फ़रहत एहसास

मिरे सुबूत बहे जा रहे हैं पानी में

फ़रहत एहसास

कैसी बला-ए-जाँ है ये मुझ को बदन किए हुए

फ़रहत एहसास

जिस्म जब महव-ए-सुख़न हों शब-ए-ख़ामोशी से

फ़रहत एहसास

जब उस को देखते रहने से थकने लगता हूँ

फ़रहत एहसास

इश्क़ में कितने बुलंद इम्कान हो जाते हैं हम

फ़रहत एहसास

है शोर साहिलों पर सैलाब आ रहा है

फ़रहत एहसास

अहल-ए-बदन को इश्क़ है बाहर की कोई चीज़

फ़रहत एहसास

उदास शाम में पज़मुर्दा बाद बन के न आ

फ़रहान सालिम

हमा-जिहत मिरी तलब जिस की मिसाल अब नहीं

फ़रीद परबती

क़तरा दरिया-ए-आश्नाई है

फ़ानी बदायुनी

हुस्न का एक आह ने चेहरा निढाल कर दिया

फ़ना निज़ामी कानपुरी

आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया

फ़ना बुलंदशहरी

नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ज़िंदाँ की एक शाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सुब्ह-ए-आज़ादी (अगस्त-47)

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जो मेरा तुम्हारा रिश्ता है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हिज्र की राख और विसाल के फूल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

याद-ए-ग़ज़ाल-चश्माँ ज़िक्र-ए-समन-अज़ाराँ

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शाख़ पर ख़ून-ए-गुल रवाँ है वही

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सभी कुछ है तेरा दिया हुआ सभी राहतें सभी कुल्फ़तें

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कभी कभी याद में उभरते हैं नक़्श-ए-माज़ी मिटे मिटे से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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