विसाल Poetry (page 2)

जो तू नहीं तो मौसम-ए-मलाल भी न आएगा

याक़ूब यावर

ये हम ने माना कि होगा विसाल-ए-यार नसीब

याक़ूब अली आसी

क्या हुआ हम से जो दुनिया बद-गुमाँ होने लगी

याक़ूब आमिर

यार है आइना है शाना है

यगाना चंगेज़ी

आज दिस्ता है हाल कुछ का कुछ

वली मोहम्मद वली

क्या हिज्र में जी निढाल करना

वाली आसी

हम अपने-आप पे भी ज़ाहिर कभी दिल का हाल नहीं करते

वाली आसी

दम-ए-विसाल ये हसरत रही रही न रही

वजीह सानी

बदन में आग है रोग़न मिरे ख़याल में है

विपुल कुमार

और सब कुछ बहाल रक्खा है

विनीत आश्ना

न रही बे-ख़ुदी-ए-शौक़ में इतनी भी ख़बर

तिलोकचंद महरूम

ताइर-ए-दिल के लिए ज़ुल्फ़ का जाल अच्छा है

तिलोकचंद महरूम

बाइस-ए-इम्बिसात हो आमद-ए-नौ-बहार क्या

तिलोकचंद महरूम

गर्द-आलूद दरीदा चेहरा यूँ है माह ओ साल के ब'अद

तौसीफ़ तबस्सुम

वो रंग-रूप मसाफ़त की धूल चाट गई

तौक़ीर रज़ा

तमाम उम्र-ए-रवाँ का माल हैरत है

तसनीम आबिदी

मिरे चारा-गर तुझे क्या ख़बर, जो अज़ाब-ए-हिज्र-ओ-विसाल है

तसनीम आबिदी

शब-ए-विसाल में सुनना पड़ा फ़साना-ए-ग़ैर

मीर तस्कीन देहलवी

इतनी न कीजे जाने की जल्दी शब-ए-विसाल

मीर तस्कीन देहलवी

क्या क्या मज़े से रात की अहद-ए-शबाब में

मीर तस्कीन देहलवी

हुए थे भाग के पर्दे में तुम निहाँ क्यूँकर

मीर तस्कीन देहलवी

मैं रोज़-ए-हिज्र को बरबाद करता रहता हूँ

तरकश प्रदीप

यहाँ के लोग हैं बस अपने ही ख़याल में गुम

तारिक़ मतीन

निरवान

ताऊस

तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का

तनवीर अंजुम

उतार लफ़्ज़ों का इक ज़ख़ीरा ग़ज़ल को ताज़ा ख़याल दे दे

तैमूर हसन

हिज्र बख़्शा कभी विसाल दिया

तैमूर हसन

ये आँख नम थी ज़बाँ पर मगर सवाल न था

ताहिरा जबीन तारा

तो तय हुआ ना कि जब भी लिखना रुतों के सारे अज़ाब लिखना

ताहिर तोनस्वी

मैं तिरे हिज्र में जो ज़िंदा हूँ

ताहिर अज़ीम

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